Saturday, July 27, 2024
spot_img
Homeउत्तराखंडजो माता पिता की न सूनें वह धुधकारी है आचार्य शिव प्रसाद...

जो माता पिता की न सूनें वह धुधकारी है आचार्य शिव प्रसाद मंमगाईं जीवन का मूल्य समझें – RAIBAR PAHAD KA


शेयर करें

संसार की एक विचित्र अवस्था है, मनुष्य जन्म लेता है ,बड़ा होता है, विषय भोग करता है, उसकी संतान उत्पन्न होती है, हर जगह असफल रहता है तो असफलता का अतृप्ति का बोझ लेकर, कर्मफल भोगने के लिए, इस असार संसार से सदैव के लिए विदा हो जाता है विचारणीय है धुधकारी जैसा पांच वेश्याओं के वशीभूत अन्त में उन्होंने ही काल के गाल में धकेल दिया जवकि गौकर्ण की सरलता नें उसका उद्धार किया जबतक जिओ मनुष्य बनकर जियो अहार निद्रा व्यसनासक्ती है तो पशु मनुष्य में कोई अंतर है यह बात आज बदरीपुर देहरादून में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण की कथा में प्रथम दिन आयोजकों के द्वारा भव्य कलश यात्रा निकाली जहां पीत वस्त्र में महिलाऐं शिर पर कलश लिए गोविन्द की जय गोपाल की जय ध्वनी से स्थान गुजायमान हुआ वहीं कथावाचन करते ज्योतिष्पीठ व्यास पदाल॔कृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी बद्रीपुर जोगीवाला निकट काली मंदिर में ममगाईं परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करते हुए कहा हमारी आत्मा देव है तो द्वैसयुक्त बुद्धी धुंधली के द्वारा पाप प्रवृति वाला धुंधकारी पैदा होता है जो माता पिता की ना सुनें संस्कारी ना हो वही धुंधकारी है मनुष्य का
एक-एक क्षण इतने मूल्यवान है कि एक बार खो जाने पर भी कभी वापस नहीं आ सकते
हमारा जीवन कितना मूल्यवान है, इसका महत्व व्यक्ति तब समझता है, जब मृत्यु उसके सभी में आ खड़ी होती है, तब पश्चाताप की वेदना उसे हजारों सांप बिच्छूओ के काटने के बराबर दुख देती है किंतु तब कोई उपाय भी तो नहीं रह जाता
एक मात्र साधन भगवान नाम भी उस समय मुख से इसलिए नहीं निकलता कि जीवन में इसका अभ्यास उसने किया ही वही अन्त में भगवान का नाम लेकर पार होगा

  • आचार्य ममगांई ने कहा जो समय बिगड़ा जो व्यतीत हो गया उसके शोक करने से कोई लाभ नहीं वर्तमान को सुधार लीजिए भविष्य स्वत: ही सुधर जाएगा
    याद रखना चाहिए कि खोया हुआ धन रूठा हुआ मित्र पत्नी दूसरों के द्वारा अपहृत संपत्ति यह सब आपको फिर भी मिल सकते हैं परंतु यह मूल्यवान देव दुर्लभ शरीर बार-बार नहीं मिलता _ यह केवल एक बार ही मिलता है—
    अतः सुर दुर्लभ इस मानव शरीर की सार्थकता महत्ता एवं मूल्यवता को समझते हुए प्रत्येक क्षण भगवान के नाम का जप एवं चिंतन करना चाहिए तथा भगवान के स्मरण में ही अपना जीवन व्यतीत करना चाहिए। मनुष्य योनि ही कर्म योनि है।इस योनि में ही मनुष्य अपना उद्धार कर सकता है। इसलिए इस योनि के लिए देवगण भी आकांक्षा करते हैं।भगवान की भक्ति से ही जीवन सफल हो सकता है— आज विशेष रूप से डाक्टर शैलेन्द्र ममगांई संजय ममगाईं विमल ममगाईं देवेन्द्र ममगाईं वीरेन्द्र ममगाईं रवींद्र ममगाईं दिवाकर ममगाईं राकेश ममगाईं डॉ प्रकाश ममगाईं गिरीश ममगाईं रतन मणी ममगाईं परमेश्वरी देवी विजयलक्ष्मी ममगाईं रजनी ममगाईं नीलम ममगाईं आचार्य मनोज थपलियाल पुरोहित देवी प्रसाद गार्गी आचार्य संदीप डंगवाल आचार्यमोहित बडोनी आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य हिमांशु मैठाणी आचार्य सूरज पाठक सुरेश जोशी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित रहे ।।

About Post Author



Post Views:
29

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments