Saturday, July 27, 2024
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जंगली जानवरों की शहरों में धमक के लिए मनुष्य जिम्मेदार – RAIBAR PAHAD KA


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पर्यावरण दिवस पर श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में कार्यक्रम

वनक्षेत्राधिकारी दीक्षा बिजल्वाण ने बढ़ते प्लास्टिक कचरे को बताया बड़ा खतरा

प्राध्यापकों और छात्रों ने पर्यावरण रक्षा की शपथ

देवप्रयाग। तेंदुआ और भालू जैसे हिंसक जानवरों का आबादी में घुसना कोई सामान्य घटनाएं नहीं है। इससे सबक लेने की आवश्यकता है। मनुष्य द्वारा वन्य जीवों के पर्यावासों में दखल दिए जाने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है। चिंताजनक यह है कि ये घटनाएं बढ़ती जा रही हैं।
पर्यावरण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में यह बात वन क्षेत्राधिकारी दीक्षा बिजल्वाण ने कही। केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में आयोजित कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से वन्य जीवों के स्वभाव में परिवर्तन देखा जा रहा है। उनके आवासों और पारंपरिक मार्गों से हमने छेड़छाड़ की है। हमने उनके कॉरीडोरों पर सड़कें बना दीं और उनके आवासों तक पहुंचकर वहां घर बना दिये हैं। हम भूल जाते हैं कि वनों पर जितना अधिकार हमारा है, उससे अधिक वन्य जीवों का है, क्योंकि उन्होंने अपने आवासों को छोड़ दिया तो मनुष्य का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। छात्रों को वनों के प्रति संवेदनशील बनने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि जंगलों में आग की घटनाओं से हर साल वन संपदा के साथ ही वन्य जीवों की भी दर्दनाक मौत हो जाती है। जानवरों की अधिक संख्या में मृत्यु पर्यावरण के लिए खतरा है,क्योंकि पर्यावरणीय सिस्टम में मक्खी से लेकर हाथी तक सभी की उपयोगिता है।
बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण पर चिंता व्यक्त कर उन्होंने कहा कि यह सभी प्रकार के प्राणियों और वनस्पतियों के लिए बड़ा खतरा बन चुका है। हम इसके सौ फीसदी उपयोग से बच तो नहीं सकते, परंतु इसके कम से कम उपयोग से भविष्य के खतरे को कम कर सकते हैं। श्रीमती बिजल्वाण ने वायु प्रदूषण पर कहा कि देवप्रयाग जैसे पहाड़ी शहर की हवा भी जब शुद्ध नहीं है तो बड़े शहरों के ऑक्सीजन लेवल की कल्पना सहज ही की जा सकती है। इसका एकमात्र उपाय अधिक से अधिक संख्या में पौधे लगाना है। उन्होंने श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो0 पीवीबी सुब्रह्मण्यम के साथ परिसर में आंवले का पौधा रोपा तथा ग्वीर्याळ समेत अनेक प्रजातियों के कुछ पौधे दिए। उन्होंने परिसर को हरित बनाने में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो0 सुब्रह्मण्यम ने वन विभाग की अधिकारी से लगभग 22 एकड़ में फैले इस परिसर को हरा-भरा बनाने के लिए विभिन्न प्रजातियों के पौधे तथा बीज उपलब्ध करने का अनुरोध किया। प्रो0 सुब्रह्मण्यम ने कहा कि परिसर की ढालदार भूमि पर मिट्टी का अपरदन और भूस्खलन रोकने के लिए विशेष प्रजाति के मजबूत और लंबी जड़ों के पौधे लगाए जाएंगे। ढालदार जमीन को पहले सीढ़ीनुमा बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्यावरण आज संपूर्ण विश्व की चिंता के केंद्र में है, लेकिन इसके संरक्षण के लिए अपेक्षित उपाय किये जाने शेष हैं। पर्यावरण को लेकर नई पीढ़ी को जागरूक होने की आवश्यकता है और इसे पढ़ाई का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बना देना चाहिए।
राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्त्वावधान मंे आयोजित इस कार्यक्रम में डॉ0वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन एनएसएस कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 सुरेश शर्मा ने किया। संचालन डॉ0 मौनिका बोल्ला ने किया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्राध्यापकों,कर्मचारियों और विद्यार्थियों ने पर्यावरण रक्षा की शपथ ली। इस अवसर पर अनुभाग अधिकारी वरुण कौशिक, डॉ0 अरविंद सिंह गौर, डॉ0 आशुतोष तिवारी, जनार्दन सुवेदी, अजयसिंह नेगी, अंकुर वत्स आदि उपस्थित थे।

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