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भगवान दो विरोधी धर्मों का अधिष्ठान है इसलिए उसे समझने में कठिनाई होती है किंतु उसे प्राप्त किया जा सकता है और वह वही कर सकता है जिस पर उसकी कृपा हो जाये उसकी कृपा से ही प्राकृत इन्द्रिय मन बुद्धि को दिव्यता प्राप्त हो जाती है जिससे दिव्य ईश्वर बाह्य हो जाता है
उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने प्राचीन शिव मंदिर मालदेवता में आयोजित शिवमहापुराण में व्यक्त करते हुए कहा कि विश्व का प्रत्येक जीव आस्तिक ही है यह करोडों कल्प परिश्रम करके भी नास्तिक नही बन सकता क्योंकि प्रत्येक अनीश्वरवादी आनंद को तो मानता ही है औऱ आनंद ईश्वर का पर्यायवाची है अतएव आनन्दो पासक स्वयं ही ईश्वरो पासक सिद्ध हो जाता है उसका ईश्वरीय गुणों में प्रेम भी ईश्वर को सिद्ध करता है यही तक कि उसकी स्वयं सत्ता ही ईश्वर को सिद्ध करती है अर्थात संक्षेपतः तीन बातें भक्ति में प्रमुख ज्ञातव्य हैं उन तीनों में प्रथम तो यह है कि अन्य सब प्रकार की इच्छाओं से रहित हुआ जाय दूसरी यह कि भक्ति के ऊपर ज्ञान कर्म तपश्चर्या आदि किसी का भी आवरण न होना चाहिए तीसरी बात यह है कि शांत दास्य सख्य वात्सल्य एवम माधुर्य इन पांच अनुकूल भावों से महादेब का अनुशीलन करना चाहिए इन तीनो बातों में सर्वप्रथम बात पर गम्भीर विचार विमर्श करना है क्योंकि मेरी राय में प्रायः सभी जीवोँ की साधना इसी कारण से रुकी हुई है और कोई जीव ईश्वर साधना नही कर पा रहा है उसको समझ पाने पर साधना मार्ग स्पष्ट हो जाता है।।
इस अवसर पर विशेष रूप से पूर्व जिलाध्यक्ष शमशेर सिंह पुंडीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व विलोक प्रमुख रायपुर प्रभुलाल बहुगुणा कांग्रेस प्रदेश कार्य समिती के सदस्य पूर्व ज्येष्ठ प्रमुख जखोली अर्जुन सिंह गहरवार प्रधानाचार्य कपूर सिंह पंवार ,पूर्व प्रधान शोभन सिंह जवाड़ी नारायण सिंह प्रधान सुंदर सिंह पुंडीर वीरेंद्र मियां पूर्व प्रधान सुरेश पुंडीर रघुवीर सिंह जयाड़ी आनंद नेगी सुरेंद्र मनवाल विकाश क्षेत्री प्रधान विजय पुंडीर सत्य देवी उषा देवी राजेन्द्र चौहान शिशपाल सुरेश कैंतुरा जयपॉल पुष्पेंद्र पुण्डीर विक्रम पँवार संजय पुंडीर संजय कोतवाल प्रधान आषाढ़ सिंह अछोली प्रकाश भट्ट रणजीत जवाड़ी मुकेश पुंडीर महेश पुंडीर सुभाष संजय पुंडीर राकेश सिंह सुशीला नेगी बुद्धि मनवाल धर्म सिंह पुंडीर राकेश पँवार आदि भक्त गण भारी सँख्या में उपस्थित थे।।
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