शेयर करें
अहंकार की अनुपस्थिति में पुण्य की सुगंध है उसका फ़ैलाव है इसलिए यदि कोई कर्ता रहकर पुण्य भी करे तो पाप हो जाता है कर नही सकता इसलिए हो जाता है हो ही नही सकता दूसरी बात भी नही हो सकती है कि कर्ता मिट जाए और कोई पाप करे यह भी नही हो सकता हमने जो अंतर किया है
उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं जी ने अपर सारथी विहार भैरव मन्दिर प्रांगण देहरादून में मैठाणी परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में व्यक्त करते हुए कहा कि पाप और पुण्य का अच्छे बुरे का वह उन लोगो ने किया है जिनके पास कर्ता उपस्थित है जिनका अहंकार उपस्थित है इस अहंकार के उपस्थित रहते हमे ऐसी व्यवस्था करनी पड़ती है कि हम बुरे व्यक्ति को बुहत बुरा कहते हैं ताकि अहंकार को चोट लगे हम बुरा करते हैं अहंकार से भरकर ही बिना अहंकार के बुरा हम कर नही सकतेजिस क्षण हम परमात्मा को सब कर्तब्य दे देते हैं अहंकार छूट जाता है बुरे को करने की बुनियादी आधारशिला ही गिर जाती है बुरे का कर्ता तो कोई भी होने को अछत नही और सच्चाई यह है कि बुरा बिना कर्ता के होता नही है भिखारी भी जानते है कि यदि आप अकेले मिल जाये रास्ते पर तो उनको विश्वास कम होता है कि दान मिलेगा चार व्यक्ति आपके साथ हों तब उनको भरोसा बढ़ जाता है अतः भिखारी को एकाकी कोई मिल जाये तो काम नही बनता उसे भीड़ में आपको पकड़ना पड़ता है
इस अवसर पर मुख्य रूप से आनन्दमणि मैठाणी हिमांशु मैठाणी रवि मैठाणी मोहित मैठाणी संचित शम्भु प्रसाद ओम प्रकाश शांति प्रसाद नौटियाल विनोद नौटियाल परमानंद जी बीना वर्षा पूर्व सूचना आयुक्त विनोद नौटियाल जी पूर्व बदरी केदार मन्दिर समिति के अध्यक्ष हरीश डिमरी जी सुमित्रा रेखा कविता डिमरी इंदु राजेश्वरी आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य रमेश चन्द्र भट्ट आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य द्वारिका नौटियाल आचार्य संदीप भट्ट आचार्य नीरज डबराल सुरेश जोशी आदि भक्त गण भारी सँख्या में उपस्थित थे।।
About Post Author
Post Views:
120