सुप्रसिद्ध लोकगायक जगदीश बकरोला का दिल्ली में निधन,उत्तराखंड संगीत जगत में शोक की लहर
उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोकगायक जगदीश बकरोला का नई दिल्ली के डॉ.राम मनोहर लोहिया अस्पताल में गुरूवार को निधन हो गया है। जिसके बाद उत्तराखंड संगीत जगत में शोक की लहर है। पौड़ी गढ़वाल के अस्वालस्यूं पट्टी के ग्राम बकरौली में जन्में जगदीश बकरोला ने 80 के दशक में गढ़वाली लोक संगीत के क्षेत्र में जो अध्याय लिखा उसे सदियों तक याद किया जाएगा। जगदीश बकरोला के निधन की खबर ने देशभर में उनके शुभचिंतकों को झकझोर कर रख दिया।
लोक गायक जगदीश बकरोला के निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत,तीरथ सिंह रावत,गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण, अभिनेता बलदेव राणा,लोक गायक डॉ अजय ढौंडियाल,ओम बधाणी,लोक गायिका,रेखा धस्माना,मीना राणा,कल्पना चौहान, रेशमा शाह गजेन्द्र राणा, दर्शन फर्स्वाण, वीरेंद्र राजपूत, सौरभ मैठाणी, संगीता ढौंडियाल, विजय पंत सहाब सिंह रमोला , आकांक्षा रमोला,बीना बोरा केशर पंवार चंद्र दत्त सुयाल,पूनम सती, निधी राणा ,अनीशा रांगड,रेनू बाला,रेशमा भट्ट,राम कोशल, धनराज शोर्य,सीमा पंगरियाल, सूर्यपाल श्रीवाण,राम कोशल,,सुनीता बिलवाल सहित संगीत प्रेमियों और कई प्रसिद्ध गायकों ने गहरा दुःख व्यक्त किया है।
आपको बता दें कि 80 के दशक में जगदीश बकरोला ने अपने गीतों और आवाज के माध्यम से गढ़वाल अंचल में नये प्रयोग किये। तब युगल गीतों का जमाना नहीं था। हर पुरुष गायक एकल गीत ही गाते थे,चाहे वो जीत सिंह नेगी जी रहे,गोपाल बाबू रहे हों,हीरा सिंह राणा,मोहन उप्रेती,चंद्र सिंह राही,केशवदास अनुरागी,गिरीश तिवारी,बीना तिवारी,कबूतरी देवी,रतन सिंह जौनसारी,नरेन्द्र सिंह नेगी,प्रताप सिंह बाफ़िला आदि आदि,तब युगल गीत गढ़वाली में पहली बार बकरोला जी लाये और धूम मचा दी। कैसेट्स का जमाना था और शादियों-कौथगी में उनके ही गीत सबसे ज्यादा बजते थे।
जगदीश बकरोला ने गीत-संगीत की शिक्षा बचपन में गांव में लगने वाले मेलों,रामलीला और स्कूल के कार्यक्रमों में गाने वाले लोगों को सुनकर ली। उन्होंने उत्तराखंडी लोक-संगीत को एक नया रूप दिया। जब जगदीश बकरोला ने लोक गायिका सुनीता बिलवाल के साथ अपनी प्रस्तुतियां दी तो हर संगीत प्रेमी इनके गीतों का दीवाना हो गया था,वह दशक था सोनोटोन कैसेट का,जगदीश बकरोला गढ़वाली गीत संगीत के आधार स्तम्भ गायक थे।
जगदीश बकरोला के नाम सबसे ज्यादा गढ़वाली गीत ऑडियो रिकॉर्ड है। उन्हें उत्तराखंड के रिकॉर्डिंग स्टूडियो में लोक तालों के पैर्टन को ढोलक-तबले में लाने का श्रेय जाता है। उनकी हिट गीतों की बात करें तो सनका बांद,जुखाम लग्यूचा,लाला मंसाराम,अंग्रेजी बुलबुल,मि छौ मिलटरी का छोरा और गढ़वाली लौंडा रे गोबिंदु।
उत्तराखंड लोक-संगीत जगत में लोक गायक जगदीश बकरोला का योगदान सदैव याद रखा जगाए। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति दे,अपने चरणों में स्थान दे-उनके शोकाकुल परिवार को इस दुःख को सहने की शक्ति प्रदान करें।