गोबर और कीचड़ में खेलेगा पौड़ी का बच्चा?

क्या यही है बच्चों का भविष्य?

कुलदीप सिंह बिष्ट: पौड़ी

पौड़ी के कंडोलिया का ऐतिहासिक मैदान आज बदहाली का शिकार है। जिस मैदान पर कभी राष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल टूर्नामेंट खेले गए थे, जहाँ देशभर की टीमें अपना दमखम दिखाने पहुँची थीं, वही मैदान आज गोबर और कीचड़ से पट चुका है।
याद कीजिए, कुछ महीने पहले इसी मैदान पर गढ़वाल सांसद व कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने नेशनल टूर्नामेंट का उद्घाटन किया था। इसके अलावा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पौड़ी आगमन की तैयारी में भी इसी मैदान को दुल्हन की तरह सजाया गया था। लेकिन दुर्भाग्यवश, मौसम की मार और आपदा के चलते वह कार्यक्रम रद्द हो गया। टेंट और सजावट हटते ही मैदान बदहाल स्थिति में लौट आया।
आज हालात यह हैं कि प्रतिदिन 150 से अधिक बच्चे, जो बड़े सपनों के साथ यहां प्रशिक्षण लेने आते हैं, उन्हें कीचड़ और गंदगी के बीच अभ्यास करने को मजबूर होना पड़ रहा है।
जिला प्रशासन का कहना है कि मैदान की स्थिति पहले भी ऐसी ही थी। मगर सवाल यह उठता है कि अगर चार माह पहले यहीं पर नेशनल टूर्नामेंट आयोजित किया गया था, तो मैदान अचानक इतनी बुरी स्थिति में कैसे आ गया? यह लापरवाही साफ तौर पर प्रशासन और जिम्मेदार विभागों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।
आपदा का बहाना बनाकर मैदान की दुर्दशा पर चुप्पी साध लेना आसान है, लेकिन इससे बच्चों का भविष्य दांव पर लग रहा है। जैसे आपदा प्रभावित ग्रामीण अपने दम पर फिर से खड़े होने को मजबूर हैं, वैसे ही अब लगता है कि इस मैदान को भी बच्चों और उनके अभिभावकों को मिलकर ही संवारना पड़ेगा।
अभिभावकों से अपील
यह समय केवल प्रशासन या सरकार पर निर्भर रहने का नहीं है। जिन बच्चों का भविष्य इस मैदान से जुड़ा है, उनके अभिभावकों को भी आगे आकर आवाज उठानी होगी। ताकि यह मैदान फिर से खेलों की प्रतिभाओं को निखारने का केंद्र बन सके, और उत्तराखंड का नाम “खेलो इंडिया” जैसे मंचों पर रोशन कर सके।🙏🙏🙏🙏🙏