कोटद्वार किसके नाम ?
काँग्रेस कमजोर – भाजपा भारी
सुरेंद्र सिंह नेगी – ऋतु खंडूड़ी की चुप्पी के क्या है संकेत ?
होगा शैलेन्द्र रावत का राजनीतिक पुनर्वास ?
पूरा होगा बारह वर्ष का बनवास ?
(रिपोर्ट : चन्द्रमोहन जदली)
राजनीतिक समीक्षक
रैबार पहाड का
गढ़वाल के प्रवेश द्वार व महर्षिकण्व की तपस्थली और चक्रवर्ती सम्राट राजा भरत की जन्मभूमि कोटद्वार नगरनिगम में महापौर पद पर इस बार भाजपा प्रत्याशी शैलेन्द्र रावत व काँग्रेस की रंजना रावत के मध्य टक्कर है। कड़ी टक्कर इसलिये नहीं लिख सकते क्योंकि काँग्रेस पिछले महापौर चुनाव की तुलना में बेहद कमज़ोर नज़र आ रही है। पिछले चुनाव से तुलना करें तो पिछली बार भाजपा दो धड़ों में बंटी हुई थी और काँग्रेस इस समय कोटद्वार के सबसे बड़े ताक़तवर क्षत्रप पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी के नेतृत्व में एकजुट थी, फ़िर भी पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को भाजपा के बागी प्रत्याशी धीरेंद्र चौहान को हराने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाना पड़ा। तब उनकी धर्मपत्नी हेमलता नेगी काँग्रेस की महापौर प्रत्याशी बहुत कम वोटों के अंतर से चुनाव जीतीं थी। परंतु आज 5 वर्ष बाद चुनाव की परिस्थितियाँ काँग्रेस के लिए और भी ज़्यादा कठिन हो चुकी हैं, हालांकि काँग्रेस प्रत्याशी रंजना रावत अपने स्तर पर चुनाव लड़ने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही हैं। लेकिन उन्हें काँग्रेस संगठन का अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है। जबकि भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र रावत के साथ पूरा भाजपा संगठन एकजुट होकर बहुत ही जोश व उत्साह के साथ धरातल पर कार्य कर रहा है। काँग्रेस प्रत्याशी रंजना रावत के नामांकन के समय कोटद्वार के सबसे बड़े काँग्रेस छत्रप सुरेंद्र सिंह नेगी व उनकी धर्मपत्नी व निवर्तमान महापौर हेमलता नेगी की अनुपस्थिति कई राजनीतिक संकेत दे चुकी है। सुरेंद्र सिंह नेगी अभी तक काँग्रेस प्रत्याशी रंजना रावत की एक भी चुनावी रैली में न तो सम्मिलित हुए हैं और न ही उनकी ओर से कोई अपील रंजना रावत को जिताने के लिए हुई है। आधा चुनाव निबट चुका है परंतु काँग्रेस के प्रदेश स्तर का कोई भी बड़ा नेता अभी तक रंजना रावत के समर्थन में नहीं आया है।
दूसरी ओर भाजपा प्रत्याशी शैलेन्द्र रावत की नामांकन रैली में टिकट के दावेदार सहित सभी क्षेत्रीय बड़े नेता एकसाथ शैलेंद्र रावत के साथ खड़े नज़र आये थे। महापौर टिकट दावेदार सुमन कोटनाला,विपिन कैंथोला,शैलेंद्र बिष्ट, वीरेंद्र रावत व लैंसडौन विधायक दलीप रावत , राजेन्द्र अंथवाल सहित सभी क्षेत्रीय नेता भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र रावत की नामांकन के समय से ही एकजुट हो कर निरंतर भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए परिश्रम कर रहे हैं। हालांकि कोटद्वार की क्षेत्रीय विधायक ऋतु खंडूड़ी की अनुपस्थिति व निष्क्रियता भी चर्चाओं में है। जब से कोटद्वार के पूर्व विधायक शैलेंद्र रावत का नाम भाजपा के मेयर प्रत्याशी के रूप में घोषित हुआ है तब से ऋतु खंडूड़ी भी कोटद्वार में शैलेन्द्र रावत के नामांकन सहित किसी भी चुनावी कार्यक्रम में उपस्थित नहीं हुई। लेकिन शैलेन्द्र रावत इस चुनाव को जीतने में पूरी तरह से सक्षम व मज़बूत नज़र आ रहे हैं।
पिछली बार धीरेन्द्र चौहान की तरह इस चुनाव में भाजपा का कोई बड़ा अन्य दावेदार नेता बागी के रूप में चुनाव नहीं लड़ रहा है। जिसका सारा लाभ भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र रावत को मिल रहा है। भाजपा प्रत्याशी शैलेंद्र रावत कोटद्वार के पूर्व ब्लॉक प्रमुख व पूर्व विधायक भी रह चुके हैं। इसलिए कोटद्वार में उनकी मज़बूत पकड़ से इनकार नहीं किया जा सकता। आज भी उनका कोटद्वार भाबर में उनके निजी जन सम्पर्क बेहद मजबूत माने जाते हैं। उन्हें तीन बार विधानसभा चुनाव लड़ने का गहरा अनुभव भी है व चुनावी प्रबंधन कौशल भी है। इस बार कोटद्वार के महापौर चुनाव जीतने पर उनका 12 वर्षीय राजनीतिक निर्वासन समाप्त होकर उनका राजनीतिक पुनर्वास होना लगभग तय माना जा रहा है।
लेकिन काँग्रेस प्रत्याशी रंजना नेगी भी इस चुनाव से अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर चुकी है। निकट भविष्य में 2027 के विधानसभा चुनाव में रंजना रावत कोटद्वार में पहली बार काँग्रेस के सबसे बड़े ताक़तवर क्षत्रप को चुनौती देकर विधानसभा में काँग्रेस का बड़ा चेहरा बन सकती हैं। फ़िलहाल चुनाव को अपने दम पर लड़ते हुए रंजना रावत ने अपने उभरते हुए राजनीतिक जीवन को बेहद मजबूती प्रदान की है। कई वर्षों की कड़ी मेहनत व सँघर्ष के बाद रंजना रावत के लिए इस बार खोने के लिए कुछ खास नहीं है लेकिन इसी चुनाव से उन्हें एक बड़ी राजनीतिक सफ़लता मिलने जा रही है। भविष्य में वे कोटद्वार में काँग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा बनकर उभर सकती हैं।
उत्तराखण्ड क्रांति दल से राज्य आन्दोलनकारी महेंद्र सिंह रावत, बहुजन समाज पार्टी से महेश नेगी व निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व सैनिक महेन्द्रपाल सिंह रावत ने भी महापौर पद के लिए चुनावी ताल ठोकी है। लेकिन पिछले चुनाव के निर्दलीय प्रत्याशी धीरेंद्र चौहान की तरह इस बार किसी भी अन्य प्रत्याशी की दूसरे नम्बर पर आने की संभावना बेहद कमज़ोर है।भाजपा व काँग्रेस में ही सीधी टक्कर है। अतः फिलहाल भाजपा प्रत्याशी शैलेन्द्र रावत को काँग्रेस की धड़ेबाजी व भीतरघात का पूरा लाभ मिल रहा है।