Big breaking:श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के डाॅक्टरों की मेहनत लाई रंग 9 वर्षीय बच्ची के जबड़े के जोड़ को दोबारा तैयार किया – RAIBAR PAHAD KA


शेयर करें

 बच्ची की पसली की हड्डी से हिस्सा लेकर जबड़े के जोड़ को दोबारा किया तैयार
 आयुष्मयान योजना के अन्तर्गत हुई बच्चे की सर्जरी, नकद भुगतान में सर्जरी का खर्च एक लाख से अधिक
देहरादून। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के प्लास्टिक सर्जन व दंत रोग विशेषज्ञ ने एक 9 वर्षीय बच्ची के जबड़े के जोड़ को दोबारा तैयार किया। दुर्घटना में चोट के कारण बच्ची के जबड़े का जोड़ चोटिल हो गया था। परिजनों ने जानकारी दी कि पूर्व में उपचार न मिलने के कारण बच्ची का मुंह धीरे धीरे खुलना बंद हो गया। जब परिजन बच्चे को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में लेकर आए तो बच्ची मुंह के रास्ते कुछ भी खाने की स्थिति में नहीं थी, चोट के कारण बच्ची के मुंह मंे टेढ़ापन आ गया था। आॅपरेशन के बाद बच्ची स्वस्थ है व सामान्य रूप से आहार ले पा रही है व मुंह के टेढे़पन में भी काफी सुधार हो गया है। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के चेयरमैन श्रीमहंत देवेन्द्र दास जी महाराज ने डाॅक्टरों व सहायक टीम को सफल सर्जरी की बधाई दी।
काबिलेगौर है कि मेडिकल साइंस में इस सर्जरी को टैम्पोरोमैंडिब्लर ज्वाइंट (टी.एम.जे.) आॅथ्रोप्लास्टी विद ज्वाइंट रीकंस्ट्रक्शन कहते हैं। सर्जरी के बाद अब बच्ची का मूंह पूरा खुल पा रहा है और बच्ची सामान्य तरीके से आहार भी ले पा रही है। बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। बढ़ती उम्र के बच्चों मंे यदि ऐसी चोट का समय पर उपचार नहीं मिल जाता है तो स्थाई रूप से जबड़ा निष्क्रिय हो सकता है।
श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के वरिष्ठ प्लास्टिक सर्जन डाॅ संजय साधु व दंत रोग विभाग की प्रमुख डाॅ भावना मलिक गोठी की टीम ने 6 घण्टे तक चले आॅपरेशन में बच्ची का सफल उपचार किया। कैश उपचार में यह एक बहुत महंगी सर्जरी है। आयुष्मयान योजना के अन्तर्गत बच्ची को श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल मंे उपचार निःशुल्क मिला। बच्ची बेहद आर्थिक रूप से कमजोर परिवार से सम्बन्ध रखती है। आयुष्मयान योजना के अन्तर्गत उपचार मिलने के कारण परिवार को बड़ी राहत मिली।
इस आॅपरेशन में खास ध्यान देने वाली बात यह रही कि डाॅक्टरों ने बच्ची के मुंह के जोड़ में चोट लगने के कारण बढ़ी हड्डी को निकाला, दूसरा पसली की हड्डी से एक हिस्सा लेकर मूंह की जोड़ को दोबारा तैयार किया। राज्य में अब तक इस प्रकार के बहुत सीमित आॅपरेशन हुए हैं। ऐसे आॅपरेशन बहुत संवेदनशील होते हैं, क्योंकि इनमें कुशल डाॅक्टरों की टीम, हाईटेक आॅपरेशन थियेटर व आॅपरेशन के बाद पीडियाकट्रिक इन्टेंसिव केयर यूनिट (पीआईसीयू) की आवश्यकता पड़ती है। आॅपरेशन को सफल बनाने मंे वरिष्ठ एनेस्थीटिस्ट डाॅ निधि आनंद, ओ.टी. सहायकों कोशी व बिपिन का विशेष सहयोग रहा।

About Post Author



Post Views:
280

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *