*दूसरे क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल होंगे ‘द साबरमती रिपोर्ट’ के लेखक अविनाश सिंह तोमर, प्रकाश झा और अनुभव सिन्हा युवा फिल्मकारों और लेखकों को प्रतिष्ठित फिल्म निर्माताओं द्वारा किया जाएगा सम्मानित*
क्राइम लिटरेचर फेस्टिवल ऑफ इंडिया (सीएलएफआई) के दूसरे संस्करण की घोषणा की गई है, जो 29 नवंबर से 1 दिसंबर, 2024 तक हयात सेंट्रिक, देहरादून में आयोजित होगा। यह फेस्टिवल कहानीकारों, सिनेमा प्रेमियों और न्याय समर्थकों के लिए एक खास मंच साबित होगा। इस बार के फेस्टिवल में प्रसिद्ध फिल्मकार प्रकाश झा (गंगाजल, आश्रम) और अनुभव सिन्हा (आर्टिकल 15, मुल्क) के साथ-साथ द साबरमती रिपोर्ट के चर्चित लेखक अविनाश सिंह तोमर विशेष आकर्षण रहेंगे।
फेस्टिवल का शुभारंभ माता श्री मंगला जी, भोले जी महाराज और प्रकाश झा द्वारा दीप प्रज्वलन से होगा, जो आतंकवाद, नशे की समस्या, महिलाओं के खिलाफ अपराध और साइबर अपराध के खिलाफ संकल्प का प्रतीक होगा। यह तीन दिवसीय आयोजन गहन चर्चाओं, प्रेरणादायक कहानियों और सामाजिक बदलाव के विचारों से भरपूर होगा।
अविनाश सिंह तोमर, जो अपनी चर्चित कृति द साबरमती रिपोर्ट के लिए जाने जाते हैं, इस फेस्टिवल के मुख्य आकर्षणों में से एक होंगे। उनकी रचनाएं अपराध और न्याय की जटिलताओं को नई दृष्टि से प्रस्तुत करती हैं। उनकी उपस्थिति न केवल फेस्टिवल में गहराई लाएगी, बल्कि सिनेमा और साहित्य को सामाजिक सुधार का माध्यम बनाने की दिशा में एक नई दिशा देगी।
*फेस्टिवल में निम्न प्रमुख हस्तियां शामिल होंगी:*
• सुरेंद्र मोहन पाठक: 300 से अधिक हिंदी क्राइम उपन्यासों के लेखक, जिन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा।
• एस. हुसैन जैदी: प्रसिद्ध क्राइम लेखक (डोंगरी टू दुबई, ब्लैक फ्राइडे), संगठित अपराध की गहराइयों को उजागर करेंगे।
• मीरन बोरवंकर: पूर्व डीजीपी और लेखिका (मैडम कमिश्नर), जिन्होंने कानून व्यवस्था को नई परिभाषा दी।
• के. विजय कुमार: वीरप्पन के खिलाफ ऐतिहासिक अभियान के सूत्रधार, उच्च-स्तरीय ऑपरेशन्स की चुनौतियों पर बात करेंगे।
• निधि कुलपति: एनडीटीवी की एंकर, जो मीडिया और न्याय पर संवादों का संचालन करेंगी।
• ज़ीशान क़ादरी: गैंग्स ऑफ़ वासेपुर के लेखक।
• रणदीप झा: कोहरा और ट्रायल बाय फायर के निर्देशक, जो सिनेमा और अपराध के बीच संबंधों की पड़ताल करेंगे।
• करण ओबेरॉय: टेलीविजन अभिनेता, गायक और एंकर।
• आकाश खुराना: अर्ध सत्य, सारांश, सरफरोश जैसी फिल्मों के अभिनेता और पटकथा लेखक।
*विद्यार्थियों की रचनात्मकता का जश्न*
फेस्टिवल के दौरान स्कूलों और विश्वविद्यालयों के विद्यार्थियों द्वारा प्रस्तुत क्राइम-थीम आधारित शॉर्ट स्टोरीज और शॉर्ट फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी। सेंट जोसेफ्स अकादमी, वेल्हम गर्ल्स स्कूल, ग्राफिक एरा डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी और अन्य प्रतिष्ठित संस्थानों के विद्यार्थी अपनी रचनात्मकता का प्रदर्शन करेंगे। उनकी सोच और सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता को सम्मानित किया जाएगा।
*फेस्टिवल चेयरपर्सन और उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी अशोक कुमार ने कहा:*
“अपराध रोकने का पहला कदम जागरूकता है। यह मंच न केवल न्याय की जटिलताओं को उजागर करता है, बल्कि उन कहानियों का भी उत्सव मनाता है, जो सामाजिक बदलाव की प्रेरणा देती हैं।”
*फेस्टिवल डायरेक्टर और पूर्व डीजीपी अलोक लाल ने कहा:*
“सीएलएफआई विचारों, अनुभवों और आवाज़ों का संगम है। साहित्य और सिनेमा के माध्यम से अपराध और न्याय को समझने का यह अनूठा अवसर है।”
*निष्कर्ष*
यह फेस्टिवल उन कहानियों, विचारों और अनुभवों का संगम है जो साहित्य, सिनेमा और सामाजिक सुधार को एक नई दिशा प्रदान करते हैं। आइए, इस ऐतिहासिक आयोजन का हिस्सा बनें और उन कहानियों को सुनें, जो न केवल मनोरंजन करती हैं बल्कि समाज को बदलने की शक्ति भी रखती हैं।