Thursday, November 14, 2024
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अभ्यास से हर कार्य होते सफल आचार्य ममगांई – Sainyadham Express

अभ्यास से हर कार्य होते सफल आचार्य ममगांई

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“समय” पर हर काम करने वालों की सारी शक्तियाँ उपयोग में आने पर भी सक्षम बनी रहती हैं। “समय” पर काम करने का अभ्यास एक सजग प्रहरी की तरह ही होता है, जो किसी भी परिस्थिति में मनुष्य को अपने कर्त्तव्य का विस्मरण नहीं होने देता। सिद्धि शक्ती जो दे वही शक्ती है जिसके बाना न समय अच्छा बन सकता न जीवन नमन और शरीर की समय से कार्य सिद्ध होते हैं सिद्धीदातूरी मां परम्बा की कृपा है “समय” आते ही सिद्ध किया हुआ अभ्यास उसे निश्चित कार्य की याद दिला देता है और प्रेरणापूर्वक उसमें लगा भी देता है। आज नेहरू कालोनी सनातन धर्म मन्दिर में आयोजित देवीभागवतमहापुराण चतुर्थ दिवस की कथावाचन करते हुए कथावाचन वाचन करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य शिव प्रसाद ममगांई ने कहा कि समय” आते ही उक्त कार्य योग्य शक्तियों में जागरण एवं सक्रियता आ जाती है, जिन्हें मनुष्य निरालस्य रूप से अपने काम में लगाकर उसे निर्धारित समय में ही पूरा कर लेता है। “कार्य एवं कर्तव्यों की पूर्णता ही जीवन की पूर्णता है, जो कि बिना समय- संयम एवं व्यवस्थित और नियमित क्रियाशीलता के प्राप्त नहीं हो सकती। “समय” के प्रतिफल का सच्चा लाभ उन्हें मिलता है जो अपनी दिनचर्या बना लेते हैं और नियमित रूप से निरंतर उसी क्रम पर आरूढ़ रहने का संकल्प लेकर चलते हैं। एक दिन एक सेर घी खा लें और एक महीने तक जरा भी न खाएँ, एक दिन सौ दंड पेलें और बीस दिन तक व्यायाम का नाम भी न लें तो उस ज्वार-भाटे जैसे उत्साह के उठने व ठंडे होने से क्या परिणाम निकलेगा? “नियत समय” पर काम करने से अंतर्मन को उस “समय” वही काम करने की आदत भी पड़ जाती है और इच्छा भी होती है। चाय, सिगरेट आदि नशे, जो लोग नियमित रूप से पीते हैं उन्हें नियत समय पर उसकी तलब उठती है और न मिलने पर बेचैनी होती है। इसी प्रकार नियत समयपर कुछ काम करने का अभ्यास डाल लिया है तो उस समय वैसा करने की इच्छा होगी । “समय” का पालन मानव-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण “संयम” है। “समय” पर काम करने वालों के शरीर चुस्त, मन नीरोग तथा इंद्रियाँ तेजस्वी बनी रहती हैं। निर्धारण के विपरीत काम करने से मन, बुद्धि तथा शरीर काम तो करते हैं किंतु अनुत्साहपूर्वक। इससे कार्य में दक्षता तो नहीं ही आती है, साथ ही शक्तियों का भी क्षय होता है। किसी काम को करने के ठीक समय पर शरीर उसी काम के योग्य यंत्र जैसा बन जाता है। ऐसे समय में यदि उससे दूसरा काम कर लिया जाता है, तो वह काम लकड़ी काटने वाली मशीन से कपड़े काटने जैसा ही होगा।
आज विशेष रूप से महापौर सुनील उनियाल गामा जि मुख्य मंत्री के कोडेनेटर हरीश कोठारी जीयाम कथावाचक डाक्टर शोभा राम उनियाल जी प्रेम तनेजा बीना तनेजा देवांश तनेजा रविंद्र तोमर अध्यक्ष गौरव चड्डा नीलम चड्डा जटाशंकर तिवारी प्रभा जुयाल विराट चड्डा लता गुसाई हरीश गुसाई के के पाण्डेय गीता पाण्डेय प्रसन्ना लखेड़ा मीरा त्रिपाठी आर एस त्यागी एस के सिंह एस के मित्तल शमशेर दत्ता जे पी भट्ट अनिल पुरी अश्विनी मुंडेपी दीपा माता पूर्व पार्षद नीलू भट्ट के के त्यागी लजाती डंडरियाल अमिता शर्मा राधा कुकरेती सुधाकर खंकरियाल सुंदरी बडोला शांति रावत सविता मघु आचार्य महेश भट्ट आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य अंकित केमनी आचार्य अशोक शर्मा आचार्य अनिल चमोली आदि भक्त गण उपस्थित थे।।

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