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Tunganath temple door closed for devotees : आज बुधवार यानी 1 अक्टूबर को तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ मंदिर के कपाट पूर्वाह्न 11 बजे वैदिक मंत्रोचारण एवं विधि विधान से श्रद्धालुओं के लिए शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। बाबा तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा अब मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ में होगी।इस अवसर पर डेढ़ हजार श्रद्धालुओं ने बाबा तुंगनाथ के दर्शन किए।
बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि पहली बार तुंगनाथ में एक लाख 35 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने दर्शन किए हैं। ब्रह्म मुहूर्त में श्री तुंगनाथ के कपाट खोले गए, इसके बाद प्रात:कालीन पूजा-अर्चना और दर्शन शुरू हुए। तत्पश्चात दस बजे से कपाट बंद की प्रक्रिया शुरू हुई।
बाबा तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को समाधि रूप दे दिया गया | Tungnath temple door closed for devotees
बता दे कि बाबा तुंगनाथ के स्वयंभू लिंग को स्थानीय फूलों भस्म आदि से ढक कर समाधि रूप दे दिया गया। इसके बाद ठीक 11 बजे पूर्वाह्न श्री तुंगनाथ जी के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। कपाट बंद होने के बाद भगवान तुंगनाथ की देव डोली मंदिर प्रांगण में आई और यहां मंदिर परिक्रमा के पश्चात देव डोली ने चोपता के लिए प्रस्थान किया।
वहीं बीकेटीसी उपाध्यक्ष किशोर पंवार और मुख्य कार्याधिकारी योगेन्द्र सिंह ने कपाट बंद होने के अवसर पर तीर्थयात्रियों का आभार जताया। साथ ही उन्होने कहा कि कपाट बंद होने और श्री तुंगनाथ जी की डोली यात्रा सफल समापन के लिए निर्देश जारी किए गए है।
2 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की देव डोली भनकुन करेगी प्रवास | Tunganath temple door closed for devotees
बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 2 नवंबर को भगवान तुंगनाथ की देव डोली भनकुन प्रवास करेगी। 3 नवंबर को भूतनाथ मंदिर होते हुए शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कंडेय मंदिर मक्कूमठ पहुंचेगी, जिसके बाद यहां देवभोज का आयोजन किया जाएगा। इसी के साथ यहां बाबा तुंगनाथ की शीतकालीन पूजा शुरू होगी।
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