इस दिन लगेगा इस साल का आखिर चंद्रग्रहण , किन-किन राशि की बदलेगी चाल, क्या राजनीति में होगी उत्तर-पुथल, कब लगेगा सूतक, ग्रहण में क्या करें क्या ना करें: जाने प्रसिद्ध आचार्य शिवप्रसाद ममगाईं से एक क्लिक पर – RAIBAR PAHAD KA


शेयर करें

दुखद खबर: उत्तराखंड का एक और लाल देश के लिए शहीद, शहीद के परिवार में मचा कोहराम इस खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, 👈👈👈👈👈

राहु केतु 30 अक्टूबर को बदल रहे हैं अपनी चाल, जानें राजनीति में क्या होगी उथल-पुथल

Big breaking:राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दिखेगी धाकड़ धामी की धूम इस खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, 👈👈👈👈

भूमण्डलीय खग्रास चन्द्र ग्रहण यह ग्रहण भारत में सभी जगह समान रूप से दिखाई देगा अतः जहां ग्रहण दिखाई दे वहां तत्संबंधित धार्मिक कृत्य करना आवश्यक है इस ग्रहण का सूतक सायं 4 बजकर 14 से प्रारंभ होगा ग्रहण के सूतक में बाल, वृद्ध, अस्वस्थ, जनों को छोड़कर, अन्य जनों को भोजन करना सोना निषेध है जिस राशी के लिए खराब है या गर्भवती स्त्री को नहीं दखना है ग्रहण को और ग्रहण काल पर सोना भी नहीं है यह ग्रहण भारत के अतिरिक्त ऑस्ट्रेलिया ,सम्पूर्ण एशिया यूरोप अफ्रिका दक्षिणी पूर्वी अमेरिका-भारत उत्तरी अमेरिका के उत्तरी पूर्वी क्षेत्र कैनेडा सहित हिन्द महासागर , दक्षिणि प्रशान्त महासागर में दिखाई देगा। ग्रहण स्पर्श 25 14 बजे यानि (रात्रि 1 बजकर 14 मिनट )ग्रहण मध्य 25 51 बजे ग्रहण मोक्ष 26 28 बजे कल 3 घंटा 40 मिनट भारतीय समय अनुसार यह ग्रहण रात्रि 1:बजकर 14 मिनट से 2बजकर 28 मिनट तक दिखाई देगा पूर्णिमा पर होने वाले ग्रहण की सम्पूर्ण जानकारी

Big breaking: एक्शन मोड में सीएम धामी , अधिकारियों को लगाई कड़ी फटकार बैठक में बोले यह क्या है दीपक: :देखें वीडियो इस खबर को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें, 👈👈👈👈👈👈

सूतक काल – 28 अक्टूबर 2023 – शाम 4:05 बजे से सूतक काल प्रारम्भ
ग्रहण का समय -28 रात्री यानी 11 प्रविष्ट कार्तिक2080यानी 29 अक्टूबर 2023 – रात्रि 1:05 ग्रहण से 2:24 तक मोक्ष होगा यह चंद्र ग्रहण कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा शनिवार दिन 28 अक्टूबर 2023 को अश्विनी नक्षत्र मेष राशि चंद्रमा में घटित होगा कार्तिक मास में चंद्र ग्रहण होने से शुभता रहती है औषधि फल आदि के उत्पादन में वृद्धि के योग हैं काली वास्तुओं के व्यापार में वृद्धि होगी मेष राशि में चंद्र ग्रहण होने से दक्षिण पश्चिम राज्य में क्लेश लोगों में भारी अपराध में वृद्धि मेषादि 12 राशियों की जातकों के लिए चंद्र ग्रहण इस प्रकार से है।

,मेष राशि शरीर कष्ट दुर्घटना तनाव क्रोध छोटी-छोटी बातों में चिंता संयम हीनता अकारमकता,

वृष राशि वाले जातकों के लिए कार्य में बाधा परिश्रम की हानि शरीर कष्ट खर्चों में वृद्धि व्यर्थ दौड़ भाग कार्य सिद्धि नहीं होना बार-बार कार्यों में विघ्न आना ।

  • मिथुन राशि विभिन्न लाभ धन प्राप्ति रुके कार्य में सफलता उत्साह से कार्य सिद्धि संपत्ति लाभ प्रसन्नता सुख की प्राप्ति।
  • कर्क राशि कार्य क्षेत्र में सफलता कुशल प्रबंधन परिवर्तन यश प्रताप सरकारी योजनाओं का लाभ विवादों से निवृत्ति।
  • सिंह राशि वालों के लिए थोड़ा सा मानहानि अशांति अफसर की हानि विरोध आसान होना निराशा आक्रामकता कार्य में अरुचि।
  • कन्या राशि शरीर कष्ट भाई धन हानि अपीयर्स संबंधों का बिगड़ना गलत दिशा में परिश्रम होना कस्टों का भी सामना ।
    -तुला राशि वालों के लिए जीवनसाथी को कामकाज में अरुचि दैनिक जीवन में तनाव रोग व्याधि कार्य सिद्धि ना होना।
  • वृश्चिक राशि वालों के लिए शत्रु हनी रोग संबंध शांति विवादों में सफलता कार्य सिद्धि शत्रु हनी धन लाभ सही दिशा में परिश्रम होना धनु राशि चिंता संतान को कष्ट सही मार्ग न मिलाना गलत सलाह पर कार्य से हानि विरोध मतभेद अपयश आलोचना।
  • मकर राशि बाहन भय शाररिक कष्ट सामाजिक विरोध मतभेद माता को कष्ट संपत्ति विवाद आदि परेशानी।
  • कुंभ राशि कार्य सिद्धि सफलता इस प्रतिष्ठा के अच्छे अवसर धन लाभ राज कार्य में सफलता नौकरी व्यवसाय में सफलता मित्रों का सहयोग से भी लाभ होगा।
  • मीन राशि पारिवारिक तनाव कुटुंम्बी जनों से विरोध धन प्राप्ति में बाधा जमा पूंजी की हानि पारिवारिक कलह में वृद्धि ,प्रिय जनों से दूरी।
  • ग्रहण के समय गंगा आदि पवित्र नदियों सरोवरों स्रोतों तथा सागर में स्नान का विशेष महत्व है मत्स्य पुराण में कहा गया है गंगा कनखल प्रयाग पुष्कर और कुरुक्षेत्र में स्नान से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
    ”गंगा कनकलं पुण्यं प्रयाग पुष्करं तथा ।कुरूक्षेत्रे तथा पुण्यं राहुग्स्थै दिवाकरे( चन्द्रे)।।”
    ग्रहण काल पर सचौल( वस्त्र सहित)स्नान का विधान है ।यथा कहा गया
    ”स्नानं सवसनं ग्रहे ‘ग्रस्यमाने भवेत्स्नानं ग्रस्त होमो विधीयते मच्यमाने भवेद्दानं मुक्तौ स्नानं विधीयते ।।”
    ग्रहण के समय या ग्रहण समाप्ति पर गर्म पानी से स्नान करना निषिद्ध है ।। यह पूर्णिमा शरद पूर्णिमा ठाकुर को खीर का भोग या खीर में अमृत का झरना तो क्या करना है ,आपको
    खीर का भोग कैसे लगाएं – सूतक काल से पहले ही खीर बनाकर खीर में कुशा( घास ) या तुलसी डालकर रख दीजिए एवं ग्रहण के मोक्ष के उपरांत खीर को खुले आसमान के नीचे रख दीजिए,
    एवम प्रातः काल मंगला आरती के बाद खीर में तुलसी दल छोड़ कर ठाकुर जी को भोग लगा कर प्रसाद रूप ले सकते हैं। जिस राशि के लिए ग्रहण फल अशुभ लिखा है वह जप तप दान पाठ राशी स्वामी का दान के द्वारा ग्रहण का अनिष्ट फल से बचा जा सकता है रोग शान्ति के लिए ग्रहण काल पर महामृत्युंजय का जप करना शुभ होता है
    कुछ ऐसा भी करें कांसी की कटोरी घी भरकर तमारा दिखा सिक्का डालकर अपना मुंह देखकर जप छायापात्र मंत्र पढ़ें या अपनी राशि का मंत्र पढ़ें और ग्रहण समाप्ति पर वस्त्र फल वस्त्र दक्षिणा सहित ग्रहण दान लेने वालों को दान करें तो रोग से मुक्ति सभी प्रकार से शुभ होता है ।।
    आपका आचार्य शिवप्रसाद ममगांई ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत

About Post Author



Post Views:
66

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *