बड़ी खबर:भ्रष्ट पूर्व उद्यान निदेशक बवेजा पर हाइकोर्ट का चला हंटर होगी सीबीआई जांच, हाईकोर्ट ने दिया फैसला, कई सफेद पोश भी रडार पर – RAIBAR PAHAD KA


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सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने किसानों के साथ मिलकर सबसे पहले निलंबित निदेशक हरमिंदर सिंह बवेजा को उद्यान निदेशालय चौबटिया में 16 अप्रैल 2022 को 9 महीने के बाद आने के कारण तालाबंद कर दिया और सरकार से मांग की कि उद्यान विभाग का निदेशालय 1953 से अल्मोड़ा जिले के चौबटिया में है और सभी कर्मचारियों को तनख्वाह भी यहीं से निकलती है उसके बाद भी अधिकारियों द्वारा मुख्यालय मे ना बैठकर देहरादून से कार्य करना पहाड़ विरोधी मंशा को दिखाता है।
अप्रैल ,18 और अप्रैल 19 2022 को दीपक करगेती द्वारा निदेशालय में ही दो दिन का क्रमिक अनशन किया गया।
5 और 6 जून 2022 को उद्यान विभाग में निदेशक बवेजा द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचारों के खिलाफ सरकार को जगाने के लिए किसानों के साथ मिलकर दीपक करगेती द्वारा चौबटिया निदेशालय से राजधानी गैरसैंण तक भ्रष्टाचार मिटाओ उद्यान बचाओ बाइक यात्रा निकाली गई,जिसमें ७ ब्लॉक ,५ तहसील से होते हुए दो दिन में यात्रा गैरसैंण पहुंची ,वहां से सरकार को ज्ञापन के माध्यम से भ्रष्टाचार की जांच की मांग की गई।
12 जून से 26 जून 2022 तक दीपक करगेती ने हिमाचल पहुंचकर बवेजा के खिलाफ सबूत एकत्रित किए।
28 जून 2022 को सभी सबूतों से साथ दीपक करगेती ने उद्यान मंत्री गणेश जोशी से मुलाकात कर सभी सबूत दिए और ज्ञापन में बवेजा के भ्रष्टाचारों की जांच की मांग की।
30 जून 2022 को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर राज्य की बागवानी और महत्वपूर्ण उद्यान विभाग को भ्रष्टाचार से बचाने की मांग की।
भारत सरकार का अधिकतर रुपया गबन किए जाने के कारण दीपक करगेती ने 14 जुलाई 2022 को दिल्ली प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचकर पीएमओ में शिकायत की और उत्तराखंड उद्यान विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच करवाकर विभाग को माफिया तंत्र से बचाने की मांग की।
31 अगस्त 2022 को एक सूचना की अपील की सुनवाई के बाद बवेजा द्वारा महिला उत्पीडन के झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया।
01 सितंबर 2022 को दीपक करगेती ने देहरादून गांधी पार्क में आमरण अनशन प्रारंभ कर दिया और जांच के आदेश होने तक आमरण अनशन पर ही रहने की घोषणा कर दी।
13 दिन के आमरण अनशन के बाद 14 सितंबर 2022 को सरकार को उद्यान विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार के जांच के आदेश देने पड़े और जांच रिपोर्ट 15 दिन में प्रस्तुत करने को कहा।लेकिन पूरा साल बीत जाने के बाद भी जांच कहां है क्या है कुछ पता नहीं चला।
7 जनवरी 2023 को दीपक ने मा उच्च न्यायालय में जनहित याचिका डाली जिसे स्वीकार करते हुए न्यायालय ने सरकार से ६ सप्ताह में जवाब मांग लिया।
इसी बीच उत्तरकाशी में अनिका ट्रेडर्स नाम की नकली नर्सरी को पौध खरीद का लाइसेंस देकर करोड़ों रुपयों की चोरी का नया खेल बवेजा ने शुरू कर दिया,जिसका उत्तरकाशी के किसानों ने जोर शोर से विरोध किया,लेकिन उसके बाद भी सरकार ने इस विषय पर गंभीरता नहीं दिखाई।
01मार्च 2023 को नकली नर्सरी को लेकर दीपक की दूसरी जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए मा उच्च न्यायालय ने बवेजा को 28 मार्च को कोर्ट में पेश होने के आदेश देते हुए अनिका ट्रेडर्स को होने वाली सभी भुगतान पर रोक लगा दी और सरकार से जवाब मागते हुए सचिव उद्यान को सख्त कार्यवाही के आदेश दे दिए इसके बाद भी बवेजा ने उत्तरकाशी और अन्य जिलों में अनिका ट्रेडर्स को भुगतान कर दिया।
26 जून 2023 को न्यायालय ने दीपक की तीसरी जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए सीबीआई को जांच कर सम्पूर्ण प्रकरण पर उसकी राय मांग ली,जिसके बाद सरकार एक सप्ताह में सीबीआई ने कहा कोर्ट को बताया कि मामला सीबीआई के स्तर का है, सीबीआई ने इसमें गड़बड़ी पाई है।
सरकार के महाधिवक्ता ने कोर्ट में पैरवी की कि राज्य सरकार की एजेंसी एसआईटी इस जांच को गंभीरता से करेगी कृपया पहले एसआईटी को जांच करने दिया जाए,सरकार ने महाधिवक्ता के माध्यम से एसआईटी को १५ दिन में जांच कर रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में प्रस्तुत करने को कहा और उद्यान विभाग के सभी दस्तावेज भी सीज कर उनकी स्क्रीनिंग के आदेश दे दिए।
एक साल बाद ठीक उसी दिन जिस दिन दीपक करगेती ने आमरण अनशन खत्म किया था उसी दिनांक को 13 सितम्बर 2023 को एसआईटी की रिपोर्ट का अंग्रेजी अनुवाद मा न्यायालय मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघवी और न्यायाधीश राकेश थपलियाल की बैंच में खोला खोली गई और दीपक करगेती ने कोर्ट की बताया कि एसआईटी ने अभी तक ना ही हरमिंदर सिंह बवेजा के बयान लिए,ना नितिन शर्मा,ग्रीन नर्सरी, बरकत एग्रो फार्म के,ऐसे में न्यायाधीश सांघवी ने एसआईटी से पूछा कि क्यों अभी तक इनसे पूछताछ नहीं हुई और बताए कि एसआईटी कैसे अन्य राज्यों से जुड़ी नर्सरी ग्रीन नर्सरी,बरकत नर्सरी की जांच करेगी।
उसके बाद कोर्ट ने 11 अक्टूबर को एसआईटी की दूसरी रिपोर्ट कोर्ट में बंद लिफाफे में आने के बाद अपना निर्णय सुनाया कि

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