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दीपक कैन्तुरा ,रैबार पहाड़ का
- • सौरव का जन्म 1 जुलाई 1995 को उनके पैतृक गाँव क्विलाखाल ग्राम सभा जोकि रुद्रप्रयाग जनपद के जखोली ब्लॉक में पड़ता है। सौरव मैठाणी के अनुसार उनके 2 गाँव है। दूसरे गाँव का नाम सेम भरदार है
- • पिता श्री चैतराम मैठाणी पेशे से शेफ है जबकि माता हेमा मैठाणी भी एक आकाशवाणी द्वारा पंजीकृत लोकगायिका है
- • शिक्षा: संगीत से M A
- • संगीत के गुरु मुरलीधर जगूड़ी जी,वाहिनी जी,दिनेश कृष्ण बेलवाल जी,आशा पांडे जी
- • आकाशवाणी दूरदर्शन B हाई ग्रेड,संस्कृति विभाग A ग्रेड, सूचना विभाग गीत एंव नाट्य प्रभाग B ग्रेड
- • अंतराष्ट्रीय सम्मान ,ब्रिटेन द्वारा मधुर कंठ सम्मान,
- • राज्यस्तरीय सम्मान-देवभूमि लोक सम्मान ,हिमालय सम्मान,श्री अन्न सम्मान के अलावा दर्जनों सम्मान मिले हैं।
- • अभी तक देश विदेश में सांस्कृतिक और मांगल कार्यक्रमों की1500 प्रस्तुति
देहरादून- उत्तराखण्ड के संगीत जगत में कई नाम हैं जिनहोंने अपने गीत संगीत और लेखनी के माध्यम से अपने गीतों के जरिए विश्व पटल पर एक नई पहचान दिलाई है चाहिए बात करें गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी,जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण, हीरा सिंह राणा,गोपाल बाबू गोस्वामी ,बसंती बिष्ट, रेखा धस्माना उनियाल , वीरेंद्र राजपूत रेशमा शाह ,गजेंद्र राणा,किशन महिपाल,माया उपाध्याय,मंगलेश डंगवाल,आशा नेगी,श्रीधर पंत,पूनम सती,हेमा नेगी करासी अनुराधा निराला, मीना राणा,कल्पना चोहान,पपू कार्की अमित सागर ,किशन सिंह पंवार,संगीता ढ़ोड़ियाल कई ऐसे नाम हैं।
जिन्होंने गीत संगीत के दम पर देवभूमि को दुनिया में नई पहचान दिलाई हैं,वहीं जब नए गायकों की बात होती हैं उनमें कई नाम शामिल है दर्शन फरस्वाण,दीपा नगर कोटि ,अनीशा रांगड़,केशर सिंह पंवार,दिवान सिंह पंवार उनहीं नामों में से एक इस युवा पीढ़ी में एक चर्चित नाम है सौरव मैठाणी ,जो कम उम्र में अपनी सुरीले कंठ और गीत संगीत और मधुर व्यवहार से लाखों उत्तराखंड वासियों और प्रवासियों के दिल में राज करता है,गीत संगीत की साधना में सौरव मैठाणी पिछले दस वर्षों से जुटे हुए हैं कभी साइट सिंगर के रुप में काम करते थे तो कभी डांस में अपनी किस्मत को आजमाया करते थे लेकिन मन में गीत संगीत के लिए कुछ करने का जज्बा बार बार हिलोरे मार रहा था सौरव ने लगातार कड़ी मेहनत की मेहनत की और उसी मेहनत का परिणाम था कि 2015 में सौरव मैठाणी का पहला गीत खूंटियों में झंवरी रिलीज हुआ जिससे सौरव का और मनोबल बड़ा और शोरभ ने मन में सोच लिया की कितनी बड़ी भी विपरित परिस्थिति क्यों ना आए लेकिन गीत संगीत को किसी भी कीमत पर छोड़ नहीं सकता,।
इसी का सफल परिणाम रहा की वह मेहनत करते रहे और जनता का प्यार उनको मिलता रहा,और उनके कई गीत इतने हीट हो गए की जो आज सबकी जुबांन पर हैं, जैसे तू रंदी मेरी मां मठियांणा मां ये गीत आज हर मांगलिक कार्य भागवत कथा के अलावा शादी विवाह में बड़ी भक्ति और आस्था के साथ बजता है,इसके अलावा सपना स्याली,बो सुरेला,मेरी प्यारी निर्मला,नीलिमा,गुड़डू का बाबा जैसे गीत इतने हिट हुए हैं कि,इन की व्यूज की संख्या यू टयूब पर मिलियनों में पहुंच गई है।सौरव बताते हैं कि उन्होंने अभी तक लगभग 40 से अधिक गीत गाए हैं ,भले सौरव के गीतों की संख्या कम हो लेकिन उनके चाहने वालों की संख्या लाखों में हैं, सौरव का गीत संगीत लोगों को कैसा भाता है और इसी से इनकी लोकप्रियता का पता चलता है इसका सबसे बड़ा उदाहरण प्रदेश से लेकर देश विदेश में होनेवाले सांस्कृतिक कार्यक्रम हैं, उत्तराखण्ड में ऐसा कोई भी कार्यक्रम ना होगा जहां सौरव की टीम की प्रस्तुति नहीं होगी ,हाल ही में सौरभ मैठाणी ने इंगलैंड़ की धरती में अपने गीत संगीत से लाखों उत्तराखण्डिय के दिल में छाप छोड़ी इतना ही नहीं अंग्रेज भी शोरभ के गीत संगीत के मुरीद हो गए इसके अलावा सौरव ने दुबई,बर्मिंगम,नोर्टिंगम में भी अपनी प्रस्तूति दी है। सौरव मैठाणी के जन्मदिन पर घर से लेकर सोशल मीडिया पर बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है।प्रमुख समाजसेवी हिल्स डेवल्मेंट मिशन के अध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट,भाजपा नेता नीरज पंत, आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं ,जखोली प्रमुख प्रदीप थपलियाल के अलावा गैर सरकारी संगठनों और सभी लोक कलाकारों ने सौरव मैठाणी को जन्मदिन की बधाई दी ,उनके जन्मदिन पर उनकी सुंदर सी गजल भी रिलीज हुई जिसके लेखक कवि मधू सुधन थपलियाल है।, सोरव मैठाणी को रैबार पहाड़ की टीम की तरफ से हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई।
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