Sunday, September 8, 2024
spot_img
Homeउत्तराखंडरुद्रप्रयाग कंडारा में गैरोला बंधु द्वारा आयोजित भागवत कथा में आचार्य शिव...

रुद्रप्रयाग कंडारा में गैरोला बंधु द्वारा आयोजित भागवत कथा में आचार्य शिव प्रसाद ममगाईं को सुनने के लिए उमड़ा श्रद्धालुओं का भारी सैलाब – RAIBAR PAHAD KA


शेयर करें

भौतिक व्यब्था भौतिक व्यब्था रूक्मणी तो कार्य करने की सोच रूक्मणी आचार्य ममगांई

स्थूल जो दिखाई देता है जिसे हम अपने नेत्रों से देख सकते हैं और हाथों से छू सकते हैं वह कृष्ण-दर्शन में रुक्मणी कहलाती हैं। सूक्ष्म जो दिखाई नहीं देता और जिसे हम न नेत्रों से देख सकते हैं न ही स्पर्श कर सकते हैं, उसे केवल महसूस किया जा सकता है वही राधा है और जो इन स्थूल और सूक्ष्म अवस्थाओं का कारण है वह हैं श्रीकृष्ण और यही कृष्ण इस मूल सृष्टि का चराचर हैं। अब दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो स्थूल देह और सूक्ष्म आत्मा है। स्थूल में सूक्ष्म समा सकता है परंतु सूक्ष्म में स्थूल नहीं। स्थूल प्रकृति और सूक्ष्म योगमाया है और सूक्ष्म आधार शक्ति भी है लेकिन कारण की स्थापना और पहचान राधा होकर ही की जा सकती है।यदि चराचर जगत में देखें तो सभी भौतिक व्यवस्था रुक्मणी और उनके पीछे कार्य करने की सोच राधा है और जिनके लिए यह व्यवस्था की जा रही है और वो कारण है श्रीकृष्ण।यह बात ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें कण्डारा रूद्रप्रयाग में गैरोला वन्धुओं द्वाराआयोजित आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस में कहा कि भागवत के प्रतिपाध्य देव भगवान कृष्ण हैं तो श्री राधा जी आराध्य देवी है अतः राधा और रुक्मणी दोनों ही लक्ष्मी का प्रारूप है परंतु जहां रुक्मणी देहिक लक्ष्मी हैं वहीं दूसरी ओर राधा आत्मिक लक्ष्मी हैं। वहीं कथावाचन में आचार्य ने कहा कि भगवान कृष्ण जी ने कहा था मै ही भागवत हूं आत्मा राधा है कृष्ण राधा की उपासना करनें बाद कलि दोष ध्यूत मदिरा आहार व्यवहार दोष नहीं आते जीवन मे दोषों के कारण कलि का प्रवेश होता जिनसे दूर रहनें की आवश्यकता है आदान प्रसङ्गों पर लोग भावुक हुए बेटा बेटी अन्तर प्रसङ्ग पर आज विशेष रूप से चारधाम हकूक हकदारी के महासचिव हरीश डिमरी महीधर प्रसाद गैरोला राजेन्द्र पंत देवकी नन्दन गैरोला प्रदीप गैरोला कुलानंद गैरोला देवकीनंदन चंद्र प्रकाश राकेश चंद्र रमेश चंद्र विशंभर दत्त विजय आनंद सुमन चंद्र हर्षमनी मनोज चंद्र राजेन्द्र पंत प्रकाश चंद्र थपलियाल मुकेश चंद्र थपलियाल हरीश चंद्र डिमरी कविता डिमरी संदीप डिमरी दिर्घायु परदाली आदि भक्तजन उपस्थित हुए

रूक्मणी तो कार्य करने की सोच रूक्मणी आचार्य ममगांई

स्थूल जो दिखाई देता है जिसे हम अपने नेत्रों से देख सकते हैं और हाथों से छू सकते हैं वह कृष्ण-दर्शन में रुक्मणी कहलाती हैं। सूक्ष्म जो दिखाई नहीं देता और जिसे हम न नेत्रों से देख सकते हैं न ही स्पर्श कर सकते हैं, उसे केवल महसूस किया जा सकता है वही राधा है और जो इन स्थूल और सूक्ष्म अवस्थाओं का कारण है वह हैं श्रीकृष्ण और यही कृष्ण इस मूल सृष्टि का चराचर हैं। अब दूसरे दृष्टिकोण से देखें तो स्थूल देह और सूक्ष्म आत्मा है। स्थूल में सूक्ष्म समा सकता है परंतु सूक्ष्म में स्थूल नहीं। स्थूल प्रकृति और सूक्ष्म योगमाया है और सूक्ष्म आधार शक्ति भी है लेकिन कारण की स्थापना और पहचान राधा होकर ही की जा सकती है।
यदि चराचर जगत में देखें तो सभी भौतिक व्यवस्था रुक्मणी और उनके पीछे कार्य करने की सोच राधा है और जिनके लिए यह व्यवस्था की जा रही है और वो कारण है श्रीकृष्ण।यह बात ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नें कण्डारा रूद्रप्रयाग में गैरोला वन्धुओं द्वाराआयोजित आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस में कहा कि भागवत के प्रतिपाध्य देव भगवान कृष्ण हैं तो श्री राधा जी आराध्य देवी है अतः राधा और रुक्मणी दोनों ही लक्ष्मी का प्रारूप है परंतु जहां रुक्मणी देहिक लक्ष्मी हैं वहीं दूसरी ओर राधा आत्मिक लक्ष्मी हैं। वहीं कथावाचन में आचार्य ने कहा कि भगवान कृष्ण जी ने कहा था मै ही भागवत हूं आत्मा राधा है कृष्ण राधा की उपासना करनें बाद कलि दोष ध्यूत मदिरा आहार व्यवहार दोष नहीं आते जीवन मे दोषों के कारण कलि का प्रवेश होता जिनसे दूर रहनें की आवश्यकता है आदान प्रसङ्गों पर लोग भावुक हुए बेटा बेटी अन्तर प्रसङ्ग पर आज विशेष रूप से चारधाम हकूक हकदारी के महासचिव हरीश डिमरी महीधर प्रसाद गैरोला राजेन्द्र पंत देवकी नन्दन गैरोला प्रदीप गैरोला कुलानंद गैरोला देवकीनंदन चंद्र प्रकाश राकेश चंद्र रमेश चंद्र विशंभर दत्त विजय आनंद सुमन चंद्र हर्षमनी मनोज चंद्र राजेन्द्र पंत प्रकाश चंद्र थपलियाल मुकेश चंद्र थपलियाल हरीश चंद्र डिमरी कविता डिमरी संदीप डिमरी दिर्घायु परदाली आदि भक्तजन उपस्थित हुए

About Post Author



Post Views:
47

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments