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1994 में आंदोलनकारी पर पुलिस ने चलाई थी गोलियां फायरिंग में 7 आंदोलनकारियों की मौत हुई थी कई हुए थे घायल , आंदोलनकारियों की उत्तराखंड को अलग राज्य बनवाने की थी मांग, CBI द्वारा मूल दस्तावेज खोने पर फोटो स्टेट पर की थी सुनवाई की अपील कोर्ट में दूसरे पक्ष ने फोटो स्टेट पर सुनवाई पर आपत्ति लगाई थी देहरादून से दिल्ली जाते समय हुई थी आंदोलनकारियों पर फायरिंग मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहे पर हुई थी आंदोलनकारियों पर गोलीबारी मुजफ्फरनगर में रामपुर तिराहा कांड की गायब मूल पत्रावलियों की फोटोकॉपी के आधार पर साक्ष्य कराने के मामले में दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी हो गई है। अपर जिला जज एवं सत्र न्यायालय संख्या सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह ने फैसले के लिए 11 अगस्त की तिथि तय की है यह था मामला एक अक्तूबर, 1994 को अलग राज्य की मांग के लिए देहरादून से बसों में सवार होकर आंदोलनकारी दिल्ली के लिए निकले थे। देर रात रामपुर तिराहा पर पुलिस ने आंदोलनकारियों को रोकने का प्रयास किया। आंदोलनकारी नहीं माने तो पुलिसकर्मियों ने फायरिंग कर दी, जिसमें सात आंदोलनकारियों की मौत हो गई थी। सीबीआई ने मामले की जांच की और पुलिस पार्टी और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज कराए थे। गंभीर धाराओं के सेशल ट्रायल मुकदमों की सुनवाई के लिए हाईकोर्ट ने जिले के अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर सात के पीठासीन अधिकारी शक्ति सिंह को अधिकृत किया है।
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