शेयर करें
मुंबई के उत्तराखंडी प्रवासियों का बहुत बहुत आभार अभिनंदन व धन्यवाद ! मिराज थिएटर को हाउस फुल कर आपने अपनी स्वयं की संस्कृति , बोली भाषा और उत्तराखंडी लोकपरिवेश वाली फिल्म को जो प्रोत्साहन दिया वह प्रसंशनीय है !
काफी महनुभाव फिल्म समाप्ति के बाद हौल के प्रांगण मे इस बात पर चर्चा करते दिखे कि कुछ महानुभाव जो उत्तराखंड पर बडे बडे भाषण करते है बडी बडी बाते करते हैं वे नदारत हैं , लेकिन कांदिवली और आसपास के टाउनशिप से दूरस्थ रहने वाले प्रवासीयों से उनहें कोई शिकायत नहीं दिखी !
बहरहाल इस मर्मज्ञ मर्मस्पर्शी फिल्म को देख कर दर्शक बहुत भावुक और संवेदनशील नजर आए ! महिलाऐं उर्मीजी को बारंबार कंठ से गले लगाती रहीं और बुजुर्ग महिलाएं भर्राए गले से उन्हें आशीर्वाद देती रहीं !
कुल मिलाकर फिल्म लंम्बी होते हुए भी कहीं भी किसी भी दृष्य में अरुचिपूर्ण नहीं हैं खाली होते पहाडों व पहाडोंं में रह गये बुजर्गो का मर्म ह्रदय को छू जाता है ! हर दर्शक को फील होता है कि जैंसे यह उसके ही गांव की कहानी है ! उर्मीजी ने उनके बेहतरीन अभिनय से दर्शकों को रुला दिया ! पूरी फिल्म दर्शकों को बांध कर रखती है !
सभी पात्र अपने अपने किरदार में बेहतरीन हैं …! उर्मी जी द्वारा लिखी यह कहानी आज के प्रदृष्य में बहुत ही बेहतरीन है… कहते हैं खुद की लिखी कहानी को डिरेक्टर बडी ही बारीकी से निर्देशित करता है जो कि उर्मीजी ने बखूबी किया ….. नेगी जी के गीत व संगीत , आर्ट और छायांकन व लोकेशन बहुत ही उम्दा हैंं !
मै इस फिल्म को 10 में 9 दूंगा, बाकी अपनी अपनी राय आप भी रखें जिन्होंने यह फिल्म देखी !
समीक्षक – राकेश पुंडीर
About Post Author
Post Views:
10