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कीर्तन और मनन भी साधना है आचार्य ममगांई
कानों से भगवान के गुणों को सुनने, वाणी से कीर्तन करने, एवं मन से उसका मनन करना यही महा साधन कहलाता है।
महेश्वर का श्रवण कीर्तन एवं जब करना चाहिए ।
गुरुमुख से उसका श्रवण कर पीछे कीर्तन एवं मनन को साधन करें। क्रम से जब मनन का साधन होगा तब शिव योग की प्राप्ति होने से क्रम से शिव की सालोक्यादिमुक्ति प्राप्त होगी। यह बात आज ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने पुष्प विहार साकेत दिल्ली में दुसरे दिन की कथा में कही
प्रथम सम्पूर्ण अंग कि व्याधि ऒर पश्चात सर्वानंद भी ब्रह्म में लय हो जाता है। जब तक अभ्यास नही तब तक साधन में कष्ट है पीछे सब प्रकार आदि अन्त में मंगल होता है।
ब्रह्म जी बोले कि पूजा जप-तप ईश्वर के गुणरूप विलास ऒर नामों से तथा मुक्ति से जो मन का शुद्ध करना है वही मनन ईश्वर की कृपा दृष्टि से प्राप्त होता है, यही सब श्रेष्ठ साधनों में मुख्य है। गान करके वैदिक शब्द करके ऒर भाषा में शंभु के प्रताप गुणरूप ऒर नामों का विलास ऒर मनोहर रसीली वाणी से जो इनकी स्तुति की जाती है इसका नाम ही कीर्तन है, यह मध्य साधन है।
जिस किसी कारण से शिवमहात्म्य सूचक शब्द समूह जहां कहीं श्रवणेंद्रियगोचर होता है, ऒर जो स्त्रीक्रीडा के समान शिवचरित्र श्रवण में ही नित्य दृढ़ रमण करता है उसको पंडितों ने श्रवण कहा है, यह जगत्प्रसिद्व है । पूजा अर्चना मे आज विशेष रूप से
दिपक रावत सरिता रावत साबर सिंह रावत मंजू रावत दर्शन रावत हर्षि रावत सुशीला भण्डारी हरेंद्र भंडारी विश्व वर्धन थपलियाल रेखा थपलियाल जसवीर बिष्ट श्रीमती रेणु विष्ट जयंती प्रसाद गैरोला शांति गैरोला आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य महेश भट्ट आचार्य हिमांशु मैठाणी आचार्य अजय मिश्रा संथ्या श्रीवास्तव आचार्य प्रमोद भट्ट संजीव ममगाईं दीपक पंथ कामेश्वर चौबे केशव शास्त्री ठाकुर पाठक धर्मानन्द जोशी आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित थे
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