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भगवान का नाम हमारे जीवन व लक्ष्य में पड़ने वाले बाधा रूपी नदी पर के सेतु है।
और सेतु एक किनारे को दूसरे किनारे से जोड़ने का काम करता है।
उसी प्रकार भगवन्नाम जोड़ने वाला है कि नहीं?
जीव को ब्रह्म से जोड़ने वाला,
जीव को जीव के प्रति स्नेह जागृत करने वाला हैजोड़ने के काम करता है।
किन्तु इस कलिकाल में इसका सदुपयोग की अपेक्षा दुरूपयोग किया जाता है कि नहीं?यह बात आज बदरीपुर देहरादून में डाक्टर शैलेन्द्र व ममगांई वन्थुओं के द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के छटवें दिन प्रसिद्ध कथावाच आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी ने कही कि
आजकल सबसे अधिक विवाद इसी पर है कि मेरे भगवान बड़े तो मैं जिस पंथ के हूं वे बड़े। और अहं तोड़ने का काम कर रहा है।
इसलिए हे भगवत्प्रेमी सज्जन वृंद! भगवान को समझो इष्ट एक सबका सम्मान जैसे घर में गृहणी का लक्ष्य पती सम्बन्ध सबसे रखती वैसे ही इष्ट एक अनेक देवों की पूजा धर्म के नाम पर समाज बंटवारा करनें वाले समाज के वही महापौर सुनील उनियाल गामा ने धर्म नीति भाव भावना को शुद्व करने की बात की पूर्व केबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी ने माताओं की धर्म मे श्रेष्ठता बताई श्रोताओं के प्रकार बताते हुए कहा कि तीन प्रकार के श्रोता होते हैं मातृ शक्ति व्रद्ध जवान किंतु युवा पीढ़ी को कथाओं में आना आवश्यक है
आज विशेष रूप से महापौर सुनील उनियाल गामा पूर्व कैबिनेट मंत्री मंत्री प्रसाद नैथानी पूर्व प्रधानाचार्य जगदीश पंथ जखोली पंचायत प्रमुख प्रदीप थपलियाल कांग्रेस के प्रदेश सचिव ज्येष्ठ सचिव अर्जुन सिंह गहरवार राजेन्द्र सेमवाल भट्ट भानू प्रकाश तिवाड़ी प्रधानाचार्य कपूर सिंह पंवार परमेश्वरी देवी गौरव सौरभ डॉ शैलेंद्र ममगाईं डॉ प्रकाश ममगाईं संजय विमल देवेन्द्र वीरेंद्र रविंद्र दिवाकर राकेश रत्नमणी विजयलक्ष्मी ममगाईं रजनी नीलम आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित रहे।।
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