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दीपक कैन्तुरा ,रैबार पहाड़ का
देहरादून- प्रसिद्ध जागर सम्राट पद्मश्री प्रीतम भरतवाण का जडवांन गीत रिलीज हो गया है भरतवाण के चाहने वालों का इस गीत का ब्रेसब्री से इंतजार कर रहे थे इस गीत में समधी और समधणी का संवाद है गीत में समधी अपनी समधीणी को कहते हैं कि नाती की जड़वांन है आपको चलना पड़ेगा, और में आपको लेने आ रखा हूं लेकिन समधीण कहती है कि मेरी भैंसी(भैंस) गर्भवती है जिसे गढ़वाली बोलदन ब्याणक है इसलिए में अपनी भैंस को नहीं छोड़ सकती हूं और अगली बार पक्का में दो दिन के लिए रहने आऊंगी। वहीं समधी कहता है कि बेटा बहु और नाती पोते प्रदेश रहते हैं और साल 6 महिने में घर आते हैं ,और नाती को पांचवा साल लग गया चौक तिबारी सजा दी है आपको चलना पड़ेगा लेकिन समधीण कहती है मेरी मंजबूरी है,लेकिन जब समधी समधीण की खुशामत करते है तो अब समधीण को लगता है कि जब समधी इतना कह रहे हैं तो अब तो जाना ही पड़ेगा इस के लिए तब समधीण अपनी देवरानी को पूछती है कि मेरी भैंस भी देखना मेरी नाती का मुंड़न है ,और नोनी जवैं घर आ रखे हैं उनके पास जाकर उनकी खुद मिटाऊंगी और नाती को अपने हाथ से हंसुळी धागूली पहनाऊंगी ..इस गीत में जहां हास्य है वहीं गांव की हकीकत है और हमारे रीतिरिवाजों और मेल मिलाप की छाप है ,और रिस्तों का महत्व क्या होता है इस गीत में दर्शाया गया जबकि आचकल मोबाइल के जमाने में फोन कर देते हैं या वटसफ पर निमंत्रण भेजदेते हैं जिससे धीरे धीरे रिश्तेदारों को आधार सम्मान के साथ घर पर बुलाने की परंपरा खतम होने की कगार पर है..लेकिन जागर सम्राट पद्दमश्री प्रीतम भरतवाण ने इन यादों को एक बार फिर ताजा कर दिया है। इस गीत को स्वयंम प्रीतम भरतवाण ने लिखा गाया और संगीत दिया और उनके साथ युवा उभरती गायिका अंजली खरे ने अपनी मधुर आवाज से सजाया है बाल कलाकार: ऋतिका कलाकार और मेक अप: क्रिस्टी नेगी सह कलाकार: अनामिका सेमलियाट, संगीत अरेंजर: पवन गुसाईं ताल: सुभाष पांडे, डीओपी/संपादक: नागरेंद्र प्रसाद ,प्रोडक्शन प्रबंध: राय सिंह रावत, अभिनीत: मुकेश शर्मा घनसाला और शिवानी भंडारी निर्देशक: विजय भारती तकनीकी सलाहकार: सच्चिदानंद सेमवाल लेबल: प्रीतम भरतवाण आधिकारिक प्रकाशक: एसपी ब्रदर्स है ,बहुत समय बाद जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण ने धमाकेदार गीत गाया जिसका परिणाम है की एक घंटे में हजारों लोगों ने देख लिया।
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