Saturday, September 21, 2024
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ग्राफिक एरा अस्पताल में इलाज का नया कीर्तिमान* बिना चीरा लगाये हार्ट के दो वॉल्ब बदले – Sainyadham Express

ग्राफिक एरा अस्पताल में इलाज का नया कीर्तिमान*
बिना चीरा लगाये हार्ट के दो वॉल्ब बदले

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देहरादून, 20 सितम्बर। ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों ने बहुत गंभीर केस में बिना चीरा लगाये एक साथ हार्ट के दो वॉल्ब बदलकर एक नया कीर्तिमान रच दिया है। चिकित्सा क्षेत्र में नार्थ इंडिया में यह अपनी तरह का पहला मामला माना जा रहा है।
ग्राफिक एरा अस्पताल के कैथ लैब के निदेशक व ह्रदय रोग विभागाध्यक्ष डॉ राज प्रताप सिंह ने आज पत्रकारों को बताया कि 70 वर्ष के एक पूर्व सैनिक के ह्रदय के दो वॉल्ब बीना चीरा लगाये एक साथ बदले गये हैं। हार्ट फेलियर की स्थित में इसी हफ्ते कर्णप्रयाग निवासी इस मरीज को ग्राफिक एरा अस्पताल लाया गया था। करीब 12 साल पहले उनकी ओपन हार्ट सर्जरी हो चुकी थी। तब उनके हार्ट में दो वॉल्ब डाले गये थे। ईको करने पर पाया गया कि मरीज के दो वॉल्ब खराब हो चुके हैं। मरीज की जान खतरे में थी। दोनों वॉल्ब बदलने जरूरी थे, लेकिन इसमें जान का जोखिम 40 प्रतिशत था। आमतौर पर 20 प्रतिशत से अधिक जोखिम की स्थिति में आपरेशन नहीं किये जाते, लेकिन मरीज की जीवन रक्षा के लिए तत्काल उपचार जरूरी था।
डॉ राज प्रताप ने बताया कि हार्ट के दोनों वॉल्ब एक साथ बदलने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी के अलावा कोई तकनीक नहीं है। दूसरी बार ओपन हार्ट सर्जरी करने में बहुत ज्यादा जोखिम रहता है। हाई रिस्क केस को देखते हुए मरीज की जान बचाने के लिए तय किया गया कि कोई चीरा लगाये बगैर ट्रांस कैथेटर एओर्टिक वॉल्ब रिप्लेसमेंट टेक्निक (टीएवीआर) का उपयोग करके वॉल्ब बदले जायें। यह तकनीक केवल एओर्टिक वॉल्ब बदलने के लिए इस्तेमाल होती है। ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञों ने इस तकनीक से एओर्टिक वॉल्ब के साथ ही माईट्रल वॉल्ब भी बदल दिया।
उन्होंने कहा कि इसके लिए कोई चीरा नहीं लगाया गया। जहां ओपन हार्ट सर्जरी करीब पांच घंटे चलती है और उसमें रिस्क रहता है, इस प्रक्रिया को महज एक घंटे में पूरा कर लिया गया। इस तकनीक से हार्ट के दोनों वॉल्ब बदलने के बाद मरीज के स्वास्थ्य में बहुत सुधार हुआ है। अगले दिन मरीज को अपने पैरों पर चलाया गया। सही स्थिति पाते हुए उन्हें 48 घंटे बाद अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया। वरिष्ठ ह्रदय रोग विशेषज्ञ डॉ राज प्रताप सिंह ने कहा कि नॉर्थ इंडिया में इस तरह बिना चीरा लगाये पहली बार किसी मरीज के ह्रदय के दो वॉल्ब एक साथ बदले गये हैं।
विशेषज्ञों की इस टीम में डॉ हिमांशु राणा, डॉ अखिलेश पांडेय और डॉ एस पी गौतम शामिल थे। प्रेस वार्ता में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ नितिन बंसल और अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे।
ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन डॉ कमल घनशाला ने इस शानदार उपलब्धि पर विशेषज्ञों की टीम को बधाई देते हुए कहा कि मरीज को कम से कम तकलीफ देकर जीवन रक्षा करना बहुत महत्वपूर्ण है। ग्राफिक एरा अस्पताल के विशेषज्ञ अपनी योग्यता और अनुभवों के जरिये नये कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। ओपन हार्ट सर्जरी के लिए आठ ईंच के आपरेशन के बजाय दो-ढाई ईंच का चीरा लगाकर चेस्ट की हड्डी काटे बगैर इलाज की नई तकनीक अपनाकर विशेषज्ञ इस अस्पताल में कई आपरेशन कर चुके हैं। आहार नली के उपचार में भी इसी तरह जापानी तकनीक बहुत कारगर सिद्ध हो रही है। डॉ घनशाला ने कहा कि दुनिया की सबसे नई तकनीकों और बहुत अनुभवी विशेषज्ञों के साथ ग्राफिक एरा अस्पताल जिंदगी की डोर को भरोसे से जोड़ने का जो महत्वपूर्ण कार्य कर रहा है, वह एक बड़ी सेवा है।

 

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