आत्मा ही परमेश्वर रूप में हमे बोध करता रहता आचार्य ममगाईं हमारा मन – RAIBAR PAHAD KA


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वह मन और इंद्रियों से परे, निर्मल, विनाशरहित, निर्विकार, सीमारहित और सुख की राशि है। वेद ऐसा गाते हैं कि वही तू है, (तत्वमसि), जल और जल की लहर की भाँति उसमें और तुझमें कोई भेद नहीं है
ईश्वर न तो दूर है और न अत्यंत दुर्लभ ही है, बोध स्वरूप एकरस अपना आत्मा ही परमेश्वर है, नाम और रूप विभिन्न दिखते हैं, आचार्य ममगांई जी कहते हैं
धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है,
यह बातें ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई पाला कुराली लस्या जखोली रूद्रप्रयाग में कथा के माध्यम से गौ गंगा गौरी रक्षा का सन्देश देते कहा कि हमारा मन
वह मन और इंद्रियों से परे, निर्मल, विनाशरहित, निर्विकार, सीमारहित और सुख की राशि है। वेद ऐसा गाते हैं कि वही तू है, (तत्वमसि), जल और जल की लहर की भाँति उसमें और तुझमें कोई भेद नहीं है
ईश्वर न तो दूर है और न अत्यंत दुर्लभ ही है, बोध स्वरूप एकरस अपना आत्मा ही परमेश्वर है, नाम और रूप विभिन्न दिखते हैं, आचार्य ममगांई जी कहते हैं
धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है, उसे श्रेष्ठ तरीक़े से बताने वाला उससे भी दुर्लभ, श्रद्धा से सुनने वाला उससे दुर्लभ, और धर्म का आचरण करने वाला सुबुद्धिमान् सबसे दुर्लभ है, भगवान् व्यवस्था नहीं जीवन की अवस्था देखते हैं, वो व्याकुलता देखते हैं, भगवान् के लिये तड़प चाहिये,
यह बातें ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम व्यासपीठालंकृत आचार्य शिवप्रसाद ममगांई जी नंन्दाधाम नथनपुर में कथा के माध्यम से गौ गंगा गौरी रक्षा का सन्देश देते कहा कि हमारा मन
वह मन और इंद्रियों से परे, निर्मल, विनाशरहित, निर्विकार, सीमारहित और सुख की राशि है। वेद ऐसा गाते हैं कि वही तू है, (तत्वमसि), जल और जल की लहर की भाँति उसमें और तुझमें कोई भेद नहीं है
ईश्वर न तो दूर है और न अत्यंत दुर्लभ ही है, बोध स्वरूप एकरस अपना आत्मा ही परमेश्वर है, नाम और रूप विभिन्न दिखते हैं, आचार्य ममगांई जी कहते हैं
धर्म को जानने वाला दुर्लभ होता है, उसे श्रेष्ठ तरीक़े से बताने वाला उससे भी दुर्लभ, श्रद्धा से सुनने वाला उससे दुर्लभ, और धर्म का आचरण करने वाला सुबुद्धिमान् सबसे दुर्लभ है, भगवान् व्यवस्था नहीं जीवन की अवस्था देखते हैं, वो व्याकुलता देखते हैं, भगवान् के लिये तड़प चाहिये,
आज विशेष रूप से जिलाध्यक्ष एवम पूर्व प्रमुख लक्ष्मी राणा कृपाल सिंह राणा किशोर राणा सेमर सिंह राणा सते सिंह राणा महावीर सिंह पंचम के कैंतुरा अंजना कैंतुरा अंकित अंकुश मातवर सिंह प्रताप रावत शंकर राणा सुंदर राणा कुंवर सिंह उमराव सिंह सज्जन सिंह भगत सिंह शकुंतला पँवार मधु पँवार रोशनी राणा रजनी राणा खुशी निधि आचार्य भानु प्रसाद आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य विजेंदर ममगाईं आचार्य अंकित केमनी आचार्य सुनील शुक्ला आचार्य जितेंद्र ममगाईं आदि भक्त गण भारी संख्या में उपस्थित रहे।।

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