Sunday, September 8, 2024
spot_img
Homeउत्तराखंडआज ही के दिन शहीद हुए थे मेजर विभूति ढौंडियाल, विभूति को...

आज ही के दिन शहीद हुए थे मेजर विभूति ढौंडियाल, विभूति को निकिता,सरोज समेत सैकड़ों लोगों ने दी श्रद्धांजलि गमगीन हुआ माहौल, बेटे को याद कर मां ना रोक पाई आंसू – RAIBAR PAHAD KA


शेयर करें

आज 18 फरवरी आज ही के दिन पुलवामा में देश के खातिर दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद मेजर विभूति ढौंडियाल ने प्राणोत्सर्ग किया था उनकी पुण्य तिथि पर चल रहे श्रीमद्भागवत कथा में उनके निवास स्थान पर पहुंचकर सम्भ्रांत जनता व क्षेत्र वासियों ने एवम व्यास जी सहित मेजर विभूति के पारिवारिक जनों ने उनकी श्रंद्धाजलि अर्पित की श्रंद्धाजलि देते वक्त सभी पारिवारिक जनों के साथ अन्य लोगो की आंखे भी नम हुई ।

पुलवामा में लोहा लड़ते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर करने वाले विभूति शंकर ढौंडियाल की पत्नी निकिता सैन्य अधिकारी पद पर प्रतिष्ठित है किंतु विभूति की पुण्य तिथि पर श्रीमद्भागवत का आयोजन 15 से 21 फरवरी तक किया गया है कथा के बीच मे जब निकिता पहुंची तो सब लोगो की दृष्टि निकिता की तरफ भागवत जी को प्रणाम करते हुए व मेजर विभूति के चित्र पर पुष्पांजलि देते हुए दिखी तो लोगो की आंखे नम हुई दरअसल में निकिता ने अंतिम सलामी दी थी उसके बाद सैन्य अधिकारी बनने पर विभूति की माता सरोज ढौंडियाल ने शादी करने के लिए पीछे लग गयी तब जाकर शादी करवाई अपने आप ही सब कुछ किया निकिता के माता पिता भी सरोज के कहने पर तैयार हुए सादी को सभी रीति रिवाज से सरोज ने भागीदारी निभाई जिस मेजर से शादी हुई वह और निकिता के माता पिता भी कथा में आये हैं तो कुछ माहौल ही अलग सा हो गया वही प्रसिद्ध कथावाचक ज्योतिष्पीठ व्यास शिव प्रसाद ममगाई ने कथा वाचन करते हुए कहा कि हमारे यहां अपने देश पर मर मिटने का सिलसिला मेजर विभूति की तरह पहले से चलता रहा उनकी माता सरोज जी से प्रेरणा लेने की आवश्यकता है कि रूढि वादिता से ऊपर उठकर बीर बधू होने वाली निकिता का कन्यादान यह कार्य जो सरोज ढौंडियाल ने किया वह प्रशंसनीय है आचार्य जी ने अभिमन्यु का प्रसंग के साथ मा भारती के लिए मर मिटने वाले विभूति ढोंढ़ियाल के बलिदान को याद करते हुए कहा की तरह हम अपने बिस्तर पर आराम से सोते हैं किंतु सीमा पर जवानों और खेती में किसान करने वाले किसानों के कारण हम निश्चिंत होकर जीते हैं।

दुनिया के चक्रव्यूह से निकलना मुश्किल है सुभद्रा में इतनी सजगता नहीं है कि वह सजग रहकर उस चक्रव्यूह में पैठने और निकलने का रहस्य जान ले। और अभिमन्यु का यह दुर्भाग्य है कि उसने बात आधी ही सुनी।यदि अभिमन्यु में भी अंगद के समान सजगता होती तो कह सकता था कि नहीं,मैं चक्रव्यूह में नहीं जाऊंगा। मैं निकलना नहीं जानता। लेकिन पीठ ठोंकने वाले मिल ही जाते हैं। युधिष्ठिर और भीम ने कहा कि तुम चलो तो सही हम तुम्हें वहां से निकाल लेंगे। इन पीठ ठोककर निकाल लाने का आश्वासन देने वालों पर जरा भी भरोसा मत कीजिए। ये बेचारे न जाने कहां छूट जाएंगे,और आप अकेले पड़ जाएंगे। अभिमन्यु के साथ चक्रव्यूह में कोई जा ही नहीं सका।हम लोग भी संसार के चक्रव्यूह में अकेले पड़ जाते हैं। इससे बाहर निकलने की कला नहीं जानते और शत्रु पक्ष के बड़े बड़े महारथी -काम,क्रोध,लोभ,अभिमान आदि दुर्गुण हमारे जीवन में आते हैं और ये सारे दुर्गुण मिलकर हमें परास्त कर देते हैं। रामायण और महाभारत में यह जो सूत्र है,इसका तात्पर्य यह है कि हम जब भी धर्म की,ज्ञान की,भक्ति की बातें सुने तो उसके समग्र पक्ष को पूरी तौर से सुने और सुनकर उसका सही अर्थ ग्रहण करें। बहुधा हम लोगों में इतना धैर्य ही नहीं होता कि पूरी बात सुनें और समझे। वही आज कथा के चतुर्थ दिवस पर भगवान कृष्ण जन्म के प्राकटय का प्रसंग ब्यास जी के द्वारा श्रवण कराया गया भगवान बाल गोविंद की दिव्य झांकी दर्शन के साथ नन्द के आनंद भयो जै कन्हैया लाल की भजनों पर झूमते हुए माखन और मिश्री के वातावरण से गोकुल जैसा वातावरण प्रतीत हुआ
आज विशेष रूप से सरोज ढौंडियाल वैष्णवी जगदीश हरिश्चंद्र गिरीशचंद्र सतीश चन्द्र कर्नल विकास नौटियाल राजेश पोखरियाल सीमा मुकेश शंकराचार्य पीठ के पुरोहित ऋषी प्रसाद सती सरस्वती विहार मंदिर विकास समिति व अखिल गढ़वाल सभा के सचिव गजेंद्र भण्डारी पंचम सिंह विष्ट वी एस चौहान कैलाश राम तिवारी मूर्ति राम बिजल्वाण दिनेश जुयाल अनूप सिंह फर्त्याल सुचिवृता मुकेश वन्दना आदि भक्त गण उपस्थित रहे।।

About Post Author



Post Views:
19

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments