शेयर करें
ब्रह्म निर्वाण समन्वय के लिए दो का होना आवश्यक है ब्रह्म निर्वाण एक ही अनुभूति के दिये गए दो नामों का इकट्ठा उच्चारण है ब्रह्म निर्वाण दो बातों का समन्वय नही है अपितु एक सत्य के लिए उपयोग किये गए दो शब्दों का समवेत प्रयोग है
उक्त विचार ज्योतिष्पीठ व्यास आचार्य श्री शिव प्रसाद ममगाईं जी ने मालदेवता प्राचीन शिव मंदिर में आयोजित शिवमहापुराण के द्वितीय दिवस पर ब्यक्त करते हुए कहा कि हम बुरा करते हैं अहंकार से भरकर ही बिना अहंकार के हम बुरा नही कर सकते जिस क्षण हम परमात्मा को सब कर्तब्य दे देते हैं अहंकार छूट जाता है बुरे को करने की बुनियाद की आधारशिला ही गिर जाती है बुरे का कर्ता तो कोई भी होने को उछत नही और सच्चाई यह है कि बुरा बिना कर्ता के होता नही है भिखारी भी जानते हैं कि यदि आप अकेले मिल जाए रास्ते पर उनको बिश्वास कम होता है की दान मिलेगा चार व्यक्ति आपके साथ हो तब उनका विश्वास बढ़ जाता है अतः भिखारी को एकाकी कोई मिल जाये तो उनका काम नही बनता उसे भीड़ में आपको पकड़ना पड़ता है अहंकार की अनुपस्थिति में पुण्य की सुगंध है अर्थात उसका फैलाव है इसलिए कोई कर्ता रहकर पुण्य भी करे तो पाप हो जाता है
इस अवसर पर पूर्व जिलाध्यक्ष भाजपा एवम प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य श्री शमशेर सिंह पुंडीर पूर्व प्रधान सुरेश पुंडीर पूर्व प्रधान अजय चौहान सामाजिक कार्यकर्ता राकेश पुंडीर रघुबीर सिंह सूंदर सिंह पुंडीर विजय पुंडीर होशियार सिंह पुंडीर बुद्धि नेगी ग्राम प्रधान सुनीता क्षेत्री विकाश क्षेत्री सतो देवी उषा प्रसन्ना देवी आचार्य बिशम्बर दत्त आचार्य शक्तिधर आचार्य दिवाकर भट्ट आचार्य संदीप बहुगुणा आचार्य अंकित ममगाईं आचार्य प्रदीप नौटियाल आचार्य सुरेंद्र तिवारी आचार्य मनीष डंगवाल सुरेश जोशी आदि भक्त गण भारी सँख्या में उपस्थित थे ।।
About Post Author
Post Views:
5